राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के साथ कांग्रेस का हिंदी पट्टी पर ख़ास तवज्जो का मायने आखिर क्या है? पढ़े 66 दिन, 15 राज्यों के 110 जिले और 6700 किलोमीटर से ज्यादा चलने वाली इस यात्रा का सियासी मायने
तारिक़ आज़मी
डेस्क: राहुल गाँधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा की की शुरुआत सोमवार यानी 14 जनवरी को मणिपुर से हो रही है। इस यात्रा के रूट मैप को कांग्रेस ने बदला है और अब यह यात्रा जो 20 मार्च को मुंबई में खत्म होगी, कुल 66 दिनों में राहुल गांधी 15 राज्यों के 110 जिलों से होते हुए 6700 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय करेगी। यह यात्रा 100 लोकसभा सीटों और 337 विधानसभा सीटों से होकर गुजरेगी।
मणिपुर से शुरू होने वाली ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ नॉर्थ ईस्ट राज्यों से होते हुए पूर्वी भारत में प्रवेश करेगी। इस यात्रा के जरिए कांग्रेस का सबसे ज्यादा फोकस हिंदी पट्टी पर है। हिंदी पट्टी से मतलब है- बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान होता है। वैसे इस यात्रा की घोषणा के समय पार्टी ने 14 राज्यों में 6,200 किलोमीटर की दूरी तय करने की योजना बनाई थी, लेकिन बाद में अरुणाचल प्रदेश को भी शामिल किया गया है। ऐसा क्यों इसके जवाब के लिए एक बार सीटो के समीकरण और पिछले लोकसभा चुनावो और विधानसभा चुनावो के नतीजो पर नज़र दौड़ना पड़ेगा।
छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने सभी सर्वे को गलत साबित करते हुए बहुमत के साथ सरकार बनाई। वहीं मध्य प्रदेश में भारी एंटीइंकम्बेंसी के बावजूद कांग्रेस जीत नहीं पाई। राजस्थान में रवायत बकरार रही और बीजेपी सत्ता में काबिज हुई। राहुल गांधी की ‘न्याय यात्रा’ जिन 15 राज्यों से गुजरेगी, उन राज्यों में लोकसभा की कुल मिलाकर 357 सीटें हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन को देखें तो इन राज्यों में कांग्रेस की स्थिति बहुत ही खराब है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इन 357 सीटों में पार्टी महज 14 पर ही जीत हासिल कर पाई थी। वहीं बीजेपी के खाते में 239 सीटें आईं थी।
अगर हिंदी पट्टी की बात करें तो बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में कुल मिलाकर लोकसभा की 199 सीटें हैं। 2019 लोकसभा चुनाव में इन राज्यों में कांग्रेस के प्रदर्शन की बात करें तो पार्टी मात्र 6 सीटें ही जीत पाई थी। वहीं इन राज्यों में बीजेपी के खाते में 152 सीटें आईं थी। उत्तर प्रदेश की बात करें तो 2019 में कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़ा था। पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। प्रदेश की 80 सीटों में से कांग्रेस मात्र 1 सीट ही जीत पाई थी। राहुल गांधी खुद अपनी अमेठी सीट भी नहीं बचा पाए थे। कांग्रेस के खाते में 6.36 फीसदी वोट ही आए थे। जबकि इससे पहले 2014 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 2 सीट के साथ 7.53 फीसदी वोट मिले थे।
2019 में कांग्रेस ने बिहार में गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा था। प्रदेश की 40 लोकसभा सीटों में से RJD को 20, कांग्रेस को 9, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को 5, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को 3, VIP को 3 और CPIML को RJD कोटे से एक सीट दी गई थी। झारखंड में JMM, RJD और कांग्रेस का गठबंधन हुआ था। इस समझौते में कांग्रेस को 9 सीटें मिली, चार सीटों पर JMM और एक सीट RJD लिए छोड़ी गई। हालांकि, कांग्रेस ने अपने कोटे से दो सीटें बाबूलाल मरांडी की पार्टी JVM के लिए छोड़ी। इस गठबंधन के बावजूद कांग्रेस और JMM को एक-एक सीट पर जीत मिली। वहीं RJD का खाता नहीं खुला। जबकि बीजेपी को 11 और उसकी सहयोगी आजसू पार्टी के खाते में एक सीट गई।
पिछले चुनाव में मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस सिर्फ एक सीट जीत पाई थी। जबकि छत्तीसगढ़ में पार्टी को 11 में से 2 सीटें मिली थी। राजस्थान में पार्टी का खाता भी नहीं खुला था। हाल में हुए विधानसभा चुनाव और पिछले लोकसभा चुनाव के आंकड़ों से साफ है कि हिंदी बेल्ट में कांग्रेस के सामने कई चुनौतियां हैं। सबसे बड़ी चुनौती है इन राज्यों में पार्टी को जीत के ट्रैक पर वापस लाना। चूंकि कांग्रेस इस बार ‘INDIA गठबंधन’ का हिस्सा है। ऐसे में कांग्रेस के लिए सीटों का बंटवारा बेहद अहम होने वाला है।
कांग्रेस नेशनल पार्टी जरूर है, लेकिन यूपी, बिहार, झारखंड सहित कई अन्य प्रदेशों में देखें तो वहां क्षेत्रीय पार्टियां ज्यादा मजबूत स्थिति में हैं। वो कांग्रेस को उतनी सीटें नहीं देंगी। हिंदी भाषी प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति कमजोर हुई है। अगर पार्टी गठबंधन के बाहर लड़ती है तो उसके पास फिर से खड़ा होने का एक मौका है। अगर कांग्रेस INDIA गठबंधन के तहत लड़ती है तो फिर वही स्थिति आएगी कि हर प्रदेश में पार्टी को कुछ सीटें समझौते के तौर पर मिलेंगी। क्योंकि इनकी स्थिति ऐसी नहीं है कि ये दूसरे को सीटें दें, इन्हें खुद सीटें मिलेंगी।’
अभी जो समीकरण दिख रहे हैं उसके आधार पर कहा जा रहा है कि बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस बैक सीट पर है। यूपी में कांग्रेस 20 से 25 सीटों पर दावा कर सकती है। हालांकि, जानकारों का मानना है कि सीट के बंटवारे को लेकर पूर्व के चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन सबसे बड़ा आधार होगा और ऐसे में कांग्रेस को 10 से 15 सीटों के बीच संतोष करना पड़ सकता है। बिहार में इस बार कांग्रेस को 4 सीटें मिल सकती हैं। पिछली बार पार्टी ने 9 सीटों पर चुनाव लड़ा था। खबरों की मानें तो झारखंड में पार्टी 10 सीटों पर दावेदारी पेश कर सकती है। फिलहाल, INDIA गठबंधन में सीट शेयरिंग पर मुहर नहीं लगी है। वहीं, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस सभी लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है। इन राज्यों में कांग्रेस मुख्य विपक्षी पार्टी है।
क्या है भारत जोड़ो न्याय यात्रा का रूट प्लान
भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान कांग्रेस सबसे ज्यादा 11 दिन उत्तर प्रदेश में बिताएगी। जहां पहले से ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय यात्रा पर है। राहूल गांधी की यह यात्रा पूर्वांचल से शुरू होकर हाई-प्रोफाइल लोकसभा क्षेत्रों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीट वाराणसी, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्वाचन क्षेत्र रायबरेली और राहुल की पूर्व सीट अमेठी से होकर गुजरेगी। कुल मिलाकर पार्टी यूपी के 20 जिलों में 1,074 किमी की यात्रा करेगी। कांग्रेस ख़ास तौर पर इस बात को ध्यान में रख रही है कि लोकसभा चुनाव में जनता को मालूम होता है कि क्षेत्रीय पार्टियों को वोट देने के बावजूद वो केंद्र में बहुत अहम रोल अदा नहीं कर सकती हैं। उस नाते बीजेपी से दूर रहने वाला एक तबका, राष्ट्रीय लेवल पर कांग्रेस को वोट कर सकता है। वहीं इस यात्रा से पार्टी अपने कोर वोटर्स को भी फिर से जोड़ने की कोशिश में है, जो फिलहाल शांत बैठा है।
वहीं बिहार में यह यात्रा सात जिलों से गुजरेगी और 4 दिनों में 425 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। बिहार में भी दो चरणों में यात्रा पूरी होगी। पहले चरण में न्याय यात्रा सिलीगुड़ी से बिहार में प्रवेश करेगी। अररिया-पूर्णिया के सीमांचल इलाके से होते हुए राहुल गांधी झारखंड और पश्चिम बंगाल में जाएंगे। उसके बाद दूसरे चरण में फिर छत्तीसगढ़ के रास्ते रोहतास समेत अन्य जिb 1लों में जाएगी। बिहार के किशनगंज, पूर्णिया, अररिया, भागलपुर, औरंगाबाद, रोहतास (सासाराम) और बक्सर से यात्रा गुजरेगी। बिहार में न्याय यात्रा के जरिए कांग्रेस की कोशिश सीमांचल को साधाने की है। सीमांचल में विधानसभा की 24 सीटें हैं जबकि लोकसभा की चार सीटें इस क्षेत्र से आती हैं।
करीब 60 लाख वोट वाले इस इलाके में ज्यादातर सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। वहीं बीजेपी को इस क्षेत्र में अपने कोर वोटरों (ब्राह्मण, बनिया, ओबीसी) पर भरोसा है। कांग्रेस इस कोर वोटर्स में ओबीसी में सेंध मारने की कोशिश करेगी। वहीं झारखंड में न्याय यात्रा 8 दिन चलेगी। जो 13 जिलों में 804 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। झारखंड में दो चरणों में यात्रा होगी। पहले चरण में 11 जिलों में यात्रा निकाली जाएगी, जबकि दूसरे चरण में पलामू-गढ़वा में यात्रा पहुंचेगी।
इन तीन राज्यों के अलावा राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी जाएगी। छत्तीसगढ़ में ये यात्रा 5 दिनों में 7 जिलों से होती हुई 536 किलोमीटर का सफर तय करेगी। मध्य प्रदेश में यात्रा 9 जिलों से गुजरेगी और 7 दिनों में 698 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। इसके बाद राजस्थान में यात्रा मात्र 1 दिन ही रहेगी और 2 जिलों से होती हुई 128 किलोमीटर का सफर तय करेगी। बता दें कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में इन तीनों राज्यों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था।