ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण: मुफ़्ती बनारस मौलाना बातिन नोमानी ने पत्र जारी कर कहा ‘आप सबका शुक्रिया’, अदालत के फैसले और प्रशासन पर उठाया ये गम्भीर सवाल

तारिक़ आज़मी

वाराणसी: जिला जज अदालत द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद के संबंध में आए फैसले, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाना में पूजा पाठ की अनुमति हिंदू पक्ष को दिए जाने का आदेश दिया गया था, और इस आदेश के कुछ ही घंटे के बाद जिला प्रशासन ने इस आदेश का अनुपालन करवा दिया था। प्रशासन की इस आनन फानन कार्यवाही को लेकर मुस्लिम समाज मे खासी नाराज़गी देखने को मिली।

इस फैसले और प्रशासनिक जल्दबाज़ी के विरोध में मुस्लिम समुदाय ने शुक्रवार को बंदी रखी। इस बंदी का असर वाराणसी के अंदर व्यापक स्तर पर देखने को मिला था और वाराणसी के साथ साथ आसपास के जनपदों में इसका व्यापक असर दिखाई दिया था। इस बंदी का आह्वाहन मुफ़्ती-ए-बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी ने किया था। जिसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर मुस्लिम तंज़ीमो जिसमे जमीयत ओलमा हिन्द का भी इंसको समर्थन मिला। यह बंदी सफल हुई और हुई और एक अभूतपूर्व बंदी साबित हुई।

आज एक पत्र जारी करते हुए ज्ञानवाफी मस्जिद का इंतजाम करने वाली संस्था अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के सचिव और मुफ़्ती बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी ने सभी का शुक्रिया अदा किया है। ज्ञानवापी मस्जिद के मुतालिक अपनी नाराजगी जाहिर किया है।

अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होंने लिखा है कि ‘आप सभी जानते हैं की जामा मस्जिद ज्ञानवापी बनारस के दक्षिणी तहखाना में पूजा पाठ की जिला जज की ओर से दी गई अनुमति के आधार पर जिला प्रशासन ने न सिर्फ रातों-रात उसमें मूर्ति रखवा दिया। बल्कि सीआरपीएफ जैसी फोर्स जिसकी कार्य प्रणाली पर सभी को विश्वास था उसको भी साजिश में शामिल कर लिया। जिला प्रशासन की इस एक तरफा कार्रवाई से हम सभी की भावनाओं को ठेस पहुची है और अदालत के इस फैसले की हम कड़ी निंदा करते हैं।’

उन्होंने लिखा कि ‘इस संबंध में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद बनारस की ओर से शांतिपूर्ण तरीके से विरोध के तौर पर दिनांक 2 फरवरी 2024 जुम्मे के दिन बनारस बंद और बनारस समेत देश के तमाम मुसलमान से मस्जिदों में विशेष दुआख्वानी की अपील पर एक स्वर में उसे पर पूर्ण रूप से समर्थन और कार्यपालन के लिए अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी तमाम मिली दारूल उलूम, उलमा इकराम नगर के साम्राज्य और अवाम का शुक्रिया अदा करती है।’

पत्र के अंत मे लिखा कि ‘हमें पूरी उम्मीद है कि आगे भी आप इसी तरह हमारा सहयोग करेंगे। हम आपको यकीन दिलाते हैं की जामा मस्जिद ज्ञानवापी की सुरक्षा और संरक्षण के लिए आखिरी दम तक हम कोशिश करते रहेंगे। आप सभी की दुआओं की विशेष गुजारिश है। अल्लाह हम सब का मददगार हो।’

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