बोले ज्ञानवापी मस्जिद के एसएम यासीन, ये ‘बदतरीन मुल्क पाकिस्तान में न्यायपालिका ताकतवरो की गुलाम बन गई है, हमने बनारस में संविधान का क़त्ल होते 31 जनवरी 2024 को देखा है’
तारिक आज़मी
वाराणसी: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद की देख रेख करने वाली संस्था अंजुमन इन्तेजामियाँ मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने आज जारी सोशल मीडिया पर अपने सन्देश में कहा है कि ‘मेरा सदैव से मानना रहा है कि पाकिस्तान दुनिया का सब से बदतरीन मुल्क है। हालिया दिनों में वहां जो कुछ भी हो रहा है, उससे हमारी बातों को बल मिल रहा है। वहां न्याय पालिका ताकतवरों की गुलाम बनकर रह गई है। अफसोस हम भी उसी राह पर चलते दिख रहे हैं।‘
उन्होंने कहा कि ‘31 जनवरी 2024 को बनारस में हम सब ने संविधान का क़त्ल होते देखा है। क़ातिल भी कौन उस वक्त का अजय विश्वेस, जिस ने मौखिक बात पर अपने कैरियर के आखिरी लम्हे मे सर्वोच्च न्यायालय के 1993-97 के आदेश का उल्लंघन करते हुए किसी को खुश करने के लिए आदेश दे दिया। उस गैर-कानूनी आदेश को अमली जामा बिना सत्य प्रतिलिपि प्राप्त हुए बनारस के ज़िला प्रशासन ने रात के अंधेरे में पहना दिया।‘
एसएम यसीन ने आगे कहा कि ‘इस तरह बनारस मे तैनात सभी प्रशासनिक अधिकारी संविधान के क़त्ल के मुजरिम हो गए। हालाँकि सभी आईएएस, आईपीएस, पीसीएस, पीपीएस, और दीगर संवैधानिक दायित्व को निभाने वाले संविधान की सौगंध खाकर ही यहाँ तक पहुंचे थे। उसके बावजूद उन्होंने संविधान के क़त्ल में शामिल होना ज्यादा बेहतर समझा। संविधान के क़त्ल के साथ उसके शव को खुद ही अपने कन्धों पर ढोते फिरे।‘
उन्होने कहा कि ‘यह सभी तथ्य न्यायालय में अचछी तरह दर्शाए गऐ हैं। 26/02/2024 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय फैसला देगा। हमारी न्यायपालिका का न न्याय प्रिय लोगों पर विश्वास है और न ही न्याय प्रिय लोगों का न्यायालय पर विश्वास है और हम जो मुसलमान ठहरे ? हम पुर उम्मीद नहीं हैं, इस के आगे भी दुनिया है, जाऐंगे ही। बक़ौल एक शायर के “अब थकन पांव की ज़ंजीर बनी जाती है, राह का ख़ौफ़ यह कहता है चलते रहिए।“ कोशिश है कि 31 जनवरी के शबखून की दास्तान फोटोज़ के ज़रिए आप को पहुंचा सकूं।‘ उन्होंने दुआओं की अपील करते हुवे कहा कि ‘आज दुआओं का दिन है इस नाचीज़ को भी ज़रूर याद रखिएगा।‘