जाने क्या पड़ेगा असर: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मदरसा अधिनियम 2004 को असंवैधानिक घोषित किया
तारिक खान
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मदरसा अधिनियम 2004 को असंवैधानिक घोषित किया है। हाई कोर्ट ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान के बुनियादी ढांचे का हिस्सा है इसलिए मदरसा अधिनियम 2004 धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन है। राज्य में बड़ी संख्या में मदरसा हैं और इसमें पढ़ने वाले स्टूडेंट्स की संख्या भी अच्छी खासी है।
ऐसे में कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वो इन मदरसा स्टूडेंट्स को प्राइमरी एजुकेशन बोर्ड और हाई स्कूल एंड इंटरमीडिएट एजुकेशन बोर्ड के तहत मान्यता प्राप्त स्कूलों में शामिल करे। राज्य सरकार को ये निर्देश दिया गया है कि वो स्कूलों में ज़रूरत के हिसाब से अतिरिक्त सीट तैयार करे और अगर आगे ज़रूरत पड़ी तो नए स्कूल स्थापित करे।
राज्य सरकार से कहा है कि 6 से 14 साल के बच्चे बिना दाखिला के न रह जाएं, इसलिए उन्हें स्कूल में शामिल कराने के लिए हर प्रयास किए जाएं। ये फ़ैसला जस्टिस सुभाष विद्यार्थी और जस्टिस विवेक चौधरी की बेंच ने सुनाया है। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, अदालत ने इसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम-1956 की धारा 22 का भी उल्लंघन बताया। राज्य में मदरसा छात्रों की बड़ी संख्या को ध्यान में रखते हुए अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वह इन छात्रों को राज्य शिक्षा बोर्डों के तहत मान्यता प्राप्त स्कूलों में समायोजित करने के लिए तुरंत कदम उठाए।
जाने क्या पड़ेगा असर
वर्तमान में मदरसा शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त तहतानिया कक्षा 1 से 5, फौकानिया कक्षा 5 से 8 और आलिया व उच्च आलिया स्तर यानि हाई स्कूल या इससे ऊपर के लगभग 16,460 मदरसे हैं। इनमें सरकार से अनुदानित कुल 560 मदरसे हैं। इन मदरसों में मुंशी-मौलवी हाई स्कूल समकक्ष, आलिम इंटर समकक्ष, कामिल स्नातक और फाजिल परास्नातक के समकक्ष पढ़ाई होती है।
मदरसा शिक्षा परिषद की रजिस्ट्रार डॉ0 प्रियंका अवस्थी ने बताया कि मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त 16,460 मदरसों में 13 लाख 83 हजार 107 विद्यार्थी शिक्षा पा रहे हैं। वहीं, इनमें शामिल 560 अनुदानित मदरसों में एक लाख 92 हजार 317 विद्यार्थी शिक्षा हासिल कर रहे हैं। हाईकोर्ट के आदेश के बाद मदरसों के शिक्षा पा रहे इन 13 लाख से अधिक विद्यार्थियों का भविष्य पर अंधेरा छा गया है।