चुनाव आयोग ने इलेक्ट्रोल बांड का एक और डेटा किया जारी, जाने किसको मिला कितना चंदा
मो0 कुमेल
डेस्क: चुनाव आयोग ने रविवार को इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा नया डेटा अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित किया है, जिसे राजनीतिक पार्टियों ने सील बंद लिफाफ़े में जमा कराया था। इस डेटा में इलेक्टोरल बॉन्ड की तारीख़, कैटेगरी, बैंक ब्रांच, जमा करने और प्राप्त करने की तारीख़ शामिल है। हालांकि अभी भी इस डेटा में अल्फान्यूमेरिक नंबर शामिल नहीं है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि किस चुनावी बॉन्ड को किस पार्टी ने इनकैश किया है।
इससे पहले 14 मार्च को चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर डेटा जारी किया था, जिसमें यह बताया गया था कि किस कंपनी और व्यक्ति ने कितने के चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं और किस पार्टी ने कितने रूपये के चुनावी बॉन्ड इनकैश किए हैं। सवाल अभी भी बना हुआ है कि इलेक्टोरल बॉन्ड के अल्फान्यूमेरिक नंबर्स कब जारी होंगे।
Public disclosure by ECI of the data relating to electoral bonds as
returned by the Supreme Court registry can be found at this link : https://t.co/VTYdeSLhcg pic.twitter.com/x1BANQDjfx— Spokesperson ECI (@SpokespersonECI) March 17, 2024
चुनाव आयोग के बयान के अनुसार, ‘राजनीतिक दलों की ओर से मिले डेटा को बिना सील खोले सुप्रीम कोर्ट में जमा करा दिया गया था।15 मार्च 2024 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत, सर्वोच्च अदालत की रजिस्ट्री ने इस डेटा को डिज़िटाइज कर इसकी सॉफ़्ट कॉपी की पेन ड्राईव को एक सील बंद कवर में लौटा दिया। साथ में सारे काग़ज भी लौटाए। भारतीय चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड के इस डेटा को आज अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है।’
भारतीय जनता पार्टी ने 18 मार्च 2018 से 12 अप्रैल 2019 तक भुनाए गए इलेक्टोरल बॉन्ड के आंकड़े दिये हैं। इस दरम्यान पार्टी ने 200 से कुछ अधिक इलेक्टोरल बॉन्ड भुनाए थे। पार्टी ने अकाउंट नंबर भी दिया है और कितने मूल्य के कितने बॉन्ड उसे मिले, उसकी भी जानकारी दी गई है। इसमें ये भी जानकारी है कि 9 मार्च 2018 से लेकर 14 मार्च 2019 तक पार्टी ने 1450 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड भुनाए। हालांकि पार्टी ने 10 जुलाई 2023 तक के इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी दी है।
आम आदमी पार्टी ने अपने 24 अप्रैल 2018 से 10 अप्रैल 2019 तक की भी जानकारी दी है। उसने इस दौरान 3 करोड़ 55 लाख एक हज़ार रुपये के 14 इलेक्टोरल बॉन्ड भुनाए। ये सभी एसबीआई के दिल्ली ब्रांच से कैश कराए गए। इसमें बैंक खाते का नंबर दिया गया है। कांग्रेस ने भी 13 मार्च 2018 से लेकर 7 जुलाई 2023 तक की जानकारी साझा की है। 13 मार्च 2018 से 12 अप्रैल 2019 के बीच पार्टी ने करीब 98 इलेक्टोरल बॉन्ड भुनाए।
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सवादी) यानी सीपीएम ने कहा है कि उसने कोई इलेक्टोरल बॉन्ड प्राप्त नहीं किया, क्योंकि उसने इसका विरोध किया था। बसपा ने भी कहा है कि उसने 30 सितम्बर 2019 तक कोई इलेक्टोरल बॉन्ड नहीं प्राप्त किया। इसी तरह सीपीआई, एमएनएस और अन्य कई पार्टियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड प्राप्त न करने की बात कही है। जबकि अन्य पार्टियों ने जो सूचनाएं मुहैया कराई हैं वो इस डेटा में शामिल हैं। इसमें लगभग 300 पार्टियों की जानकारियां हैं।
पिछले गुरुवार को चुनाव आयोग ने 12 अप्रैल 2019 से 15 फ़रवरी 2024 तक जारी किए गए इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी सार्वजनिक की थी। हालांकि याचिकाकर्ताओं ने इस मामले में अल्फ़ान्यूमेरिक नंबर भी जारी किए जाने की मांग की है। जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई से 17 मार्च तक ये नंबर जारी करने का आदेश दिया है। 12 अप्रैल 2019 और 2 नवंबर 2023 को जारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश तहत, चुनाव आयोग ने 12 अप्रैल 2019 से पहले के इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री और उसे भुनाने की सारी जानकारी सुप्रीम कोर्ट में जमा की थी।
चुनाव आयोग की ओर से जारी चुनावी बॉन्ड इनकैश करवाने वालों की लिस्ट में बीजेपी पहले और ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस दूसरे नंबर पर है। बीजेपी ने कुल 60 अरब रुपये से अधिक के इलेक्टोरल बॉन्ड को भुनाया है, वहीं टीएमसी ने 16 अरब रुपये से अधिक के इलेक्टोरल बॉन्ड इनकैश किए हैं। चुनाव आयोग के मुताबिक सबसे ज्यादा इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली कंपनी फ़्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज़ है। इस कंपनी ने कुल 1368 बॉन्ड खरीदे, जिसकी क़ीमत 13।6 अरब रुपये से अधिक रही। चुनावी चंदा जिन पार्टियों को सबसे ज्यादा मिला, उसमें तीसरे नंबर पर कांग्रेस है, जिसे करीब 14 अरब रुपये से ज्यादा के बॉन्ड मिले।