डीयु की पूर्व प्रोफ़ेसर ने रेहड़ी पर लगाया ‘पीएचडी पकौड़े वाली’ की दूकान और तले पकौड़े, पुलिस ने दर्ज किया ऍफ़आईआर
तारिक़ खान
डेस्क: डीयू की पूर्व प्रोफेसर को रेहड़ी लगाकर पकौड़े तलते और बेचते हुए देख लोग भी हैरान थे। अनेकों लोग मोबाइल से विडियो, फोटो, सेल्फी भी लेने लगे। रेहड़ी पर लिखा मैन्यू भी लोगों को आकर्षित कर रहा था। जिसमें झुमला पकौड़ा (best seller), स्पेशल रिक्रूटमेंट ड्राइव पकौड़ा, SC/ST/ OBC बैकलॉग पकौड़ा, NFS पकौड़ा, डिस्प्लेसमेंट पकौड़ा और बेरोजगारी स्पेशल चाय थी।
इसके बाद फुटपाथ पर रेहड़ी लगाकर पकौड़े तल रहीं डीयू की पूर्व प्रोफेसर डॉ रितु सिंह के खिलाफ मौरिस नगर थाने की पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। रितु सिंह ने सोमवार को ‘पीएचडी पकौड़े वाली’ नाम के होर्डिंग से कवर करके रेहड़ी लगाई थी। डीयू एरिया में छात्रा मार्ग पर लगी डॉ रितु सिंह की आकर्षक रेहड़ी को देख न सिर्फ उनके समर्थक, बल्कि वहां से निकल रहे राहगीरों की भी खासी भीड़ जमा होने लगी थी।
इस बीच मौरिस नगर थाने की पुलिस को भनक लगी। मय SHO, SI और थाने का तमाम स्टाफ आर्ट फैकल्टी, गेट नंबर 4 पर पहुंचे। पुलिस का दावा है कि करीब 6.30 बजे शाम डॉ रितु सिंह और आशुतोष अपने कुछ समर्थकों के साथ छात्रा मार्ग फुटपाथ पर रेहड़ी लगाकर पकौड़े बेचने लगे। पुलिस ने दर्ज एफआईआर में कहा है कि डॉ रितु सिंह की रेहड़ी की वजह से फुटपाथ पर राहगीरों को आने-जाने में बाधा हो रही थी।
पुलिस ने उनको वहां से रेहड़ी हटाने के लिए कहा लेकिन उन्होंने नहीं हटाई। इस बावत पुलिस ने आईपीसी 283/34 के तहत एफआईआर दर्ज कर ली। सोमवार की शाम डॉ रितु सिंह ने अपने X हैंडल पर फोटो और मैसेज भी पोस्ट किए। इसमें उन्होंने लिखा कि दिल्ली विश्वविद्यालय में PhD करने के बाद पकौड़े बेचने को मजबूर! मान सम्मान की इस लड़ाई में झुकेंगे नहीं ‘नौकरी नहीं न्याय चाहिए’… आपको कौन सा पकौड़ा खाना है?।
डॉ रितु सिंह पहले डीयू के दौलत राम कॉलेज में साइकॉलजी विभाग में एडहॉक प्रोफेसर रह चुकी हैं। आरोप है कि उन्हें डीयू ने नौकरी से निकाल दिया था। उनका आरोप है कि डीयू प्रशासन ने उनके साथ दलित होने की वजह से भेदभाव किया है। डॉ सिंह पिछले काफी समय से डीयू में धरना देती रही हैं। उन्होंने पिछले दिनों आरोप लगाया कि उन्हें जातिगत भेदभाव की वजह से नौकरी से निकाल दिया गया। वो करीब एक साल तक असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर रहीं। उनके प्रोटेस्ट को कई राजनीतिक दलों ने भी सपोर्ट किया।