दुष्कर्म दोषी बाबा राम रहीम को बार बार मिलती पेरोल और फरलो पर हाई कोर्ट ने लिया संज्ञान, अदालत का हुक्म ‘बिना हमारी अनुमति नही मिलेगी पेरोल या फरलो’
शफी उस्मानी
डेस्क: कुकर्मी बाबा राम रहीम को बार बार मिलती पेरोल और फरलो पर आखिरकार हाईकोर्ट ने ही संज्ञान ले लिया है। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को हरियाणा सरकार से कहा कि उसकी अनुमति के बिना डेरा सचा सौदा प्रमुख और दुष्कर्म के दोषी गुरमीत राम रहीम को और पैरोल न दी जाए। इसको विपक्ष मौजूदा सरकार के लिए झटका कह रही है। ख़ास तौर पर चुनावों के दरमियान राम रहीम के बार बार जेल से बाहर आने पर विपक्ष सवाल उठा रहा था।
असल में हरियाणा में नए कानून के तहत दो बार में 70 दिनों की पैरोल और 21 दिन की एक बार फरलो पूरे साल भर में सजायाफ्ता कैदी ले सकता है। जब से नया कानून आया है तब से राम रहीम ने 100 प्रतिशत यानी पूरे 91 दिन जेल से बाहर रहा है। वो जब भी डिमांड करता उसे आसानी से पैरोल और फरलो दोनों मिल जाती थी। ऐसा होने पर तमाम सवाल उठते थे। जिस पर अब हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जी0 एस0 संधावालिया और न्यायमूर्ति लपिता बनर्जी की पीठ शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को अस्थायी रूप से रिहा करने के फैसले को चुनौती दी गई थी। गुरमीत सिंह को 19 जनवरी को 50 दिन की पैरोल दी गई थी। इससे करीब दो महीने पहले भी डेरा प्रमुख को 21 नवंबर 2023 में 21 दिन की छुट्टी दी गई थी जो रोहतक के सुनारिया जेल से 2023 में तीसरी अस्थायी रिहाई थी।
गुरमीत सिंह उर्फ़ बाबा राम रहीम अपनी दो शिष्याओं से बलात्कार के आरोप में 20 साल की जेल की सजा काट रहा है। 2021 में, डेरा प्रमुख को चार अन्य लोगों के साथ, डेरा प्रबंधक रणजीत सिंह की हत्या की साजिश रचने के लिए भी दोषी ठहराया गया था। अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘इस बीच, उक्त प्रतिवादी तय तिथि यानी 10/03/2024 को आत्मसमर्पण कर सकता है और उसके बाद राज्य के अधिकारी इस अदालत की अनुमति के बिना अगले आदेश तक उसे पैरोल देने पर विचार नहीं करेंगे। अदालत ने आदेश में कहा कि हरियाणा राज्य इस आशय का आवश्यक हिरासत प्रमाण पत्र भी दाखिल करेगा कि उक्त प्रतिवादी ने निर्धारित तिथि पर आत्मसमर्पण कर दिया है।