7 चरणों में चुनावो को लेकर विपक्ष ने उठाया सवाल, कहा इससे भाजपा को फायदा होगा, 3 या 4 चरण में हो सकते थे चुनाव

ईदुल अमीन

डेस्क: लोकसभा चुनावों की तारीख़ों की घोषणा और 7 चरणों में चुनाव कराये जाने को लेकर समूचे विपक्ष ने सवाल उठाया है। सभी ने 7 चरणों में होने वाले चुनाव पर गम्भीर सवाल उठाते हुवे कहा है कि यह चुनाव 3 या 4 चरणों में हो सकते थे। मगर 7 चरणों में चुनाव करवाया जा रहा है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘सात चरणों में चुनाव कराने का मतलब है कि इस दौरान विकास के सभी कार्य ठप पड़ जाएंगे और 70-80 दिनों तक सारे कामकाज रुकने से आप कल्पना कर सकते हैं कि देश कैसे विकास करेगा क्योंकि चुनावी आचार संहिता के मुताबिक़ लोग इधर से उधर नहीं जाएंगे, माल की सप्लाई नहीं होगी, बजट आवंटन का खर्च नहीं हो पाएगा। इसलिए मेरे हिसाब से यह ठीक नहीं है। चुनाव तीन या चार चरणों में पूरे कराए जा सकते थे।’

कांग्रेस नेता प्रियांक खड़गे ने कहा, ‘पिछली बार की तरह ही लगता है कि चुनाव आयोग ने इस तरह तारीखों की घोषणा की है कि पीएम मोदी को पूरे राज्यों में अपने प्रचार को ले जाने का मौका मिल सके। महाराष्ट्र में पांच चरण में चुनाव हो रहे हैं, जिससे साफ है कि पूरी चुनाव प्रक्रिया इस बात को सुनिश्चित करती है कि बीजेपी को अपने स्टार प्रचारक को पूरे देश में आसानी से ले जाने का मौका मिले।’

पश्चिम बंगाल की मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा, ‘हमने कहा था कि एक या दो चरण में चुनाव करने से वोट प्रतिशत बढ़ेगा लेकिन किसी ने हमारी बात नहीं सुनी।’ उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल में सात चरणों में चुनाव होगा।

टीएमसी के अन्य नेता शांतनु सेन ने कहा कि ‘हमने एक चरण में चुनाव कराए जाने की मांग की थी क्योंकि बीजेपी शासित राज्यों की तुलना में पश्चिम बंगाल की कानून व्यवस्था बेहतर है। लेकिन हमें पता था कि ऐसा नहीं होगा।’

शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि ‘एक तरफ़ वन नेशन वन इलेक्शन की बात हो रही है दूसरी तरफ़ सात चरण में चुनाव कराए जा रहे हैं।‘

कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव ने सात चरणों में चुनाव कराए जाने पर कहा कि ‘क्या हम ये संदेश देना चाहते हैं कि हम एक चुनाव भी कराने में अक्षम हैं और क़ानून व्यवस्था संभाल नहीं सकते।’

राजद सासंद मनोज झा ने कहा कि पिछले कुछ सालों में हमने चुनाव आयोग को कई बार शिकायत भेजी लेकिन कोई विचार विमर्श नहीं हुआ। लोकतंत्र को सबसे बड़ा खतरा धन बल से है, जोकि हमने इलेक्टोरल बॉन्ड और नफ़रती भाषण में देखा है। चुनाव आयोग को पक्षपाती नहीं होना चाहिए चाहे मामला पीएम या गृह मंत्री या विपक्ष के नेता या सामान्य कार्यकर्ता का हो।

बसपा प्रमुख मायावती ने सोशल मीडिया एक्स पर कहा है कि ‘यह चुनाव कम समय में करीब तीन या चार चरणों में होता तो ज्यादा बेहतर होता, जिससे समय व संसाधन दोनों की बचत होती और चुनावी खर्च कम करना संभव होता।’

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