‘झूठे’ और ‘भ्रामक’ विज्ञापनों को लेकर चल रहे मुक़दमे में पतंजलि आयुर्वेद और इसके प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी बिना शर्त माफ़ी

ईदुल अमीन

डेस्क: पतंजलि आयुर्वेद और इसके प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने ‘झूठे’ और ‘भ्रामक’ विज्ञापनों को लेकर चल रहे मुक़दमे में सुप्रीम कोर्ट में बिना शर्त माफ़ी मांग ली है। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को दाख़िल एक हलफ़नामे में उन्होंने ऐसा फिर कभी नहीं करने का भरोसा दिया है। अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद से अवमानना नोटिस का जवाब न देने की वजह पूछी थी।

इससे पहले, मंगलवार को जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्ला की दो सदस्यीय पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद के संस्थापक स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को अवमानना नोटिस का जवाब न देने पर दो अप्रैल को अदालत में पेश होने का आदेश दिया था। यह मामला पतंजलि आयुर्वेद की दवाइयों को लेकर प्रसारित होने वाले विज्ञापनों में ‘भ्रामक’ दावे करने से जुड़ा है।

अवमानना नोटिस की वजह ये थी कि पतंजलि के वकील ने बीते नवंबर में अदालत को भरोसा दिया था कि उनकी कंपनी अपने विज्ञापनों में ‘भ्रामक’ दावे नहीं करेगी। इसके बावजूद ऐसे दावे जारी रहे। मंगलवार को अदालत को जब बताया गया कि अवमानना नोटिस का जवाब नहीं आया है, तो अदालत ने बाबा रामदेव को अवमानना का नोटिस जारी करने और अदालत में उप​स्थित रहने का आदेश दिया।

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