प्रधानमंत्री के भाषण पर बोले ज्ञानवापी मस्जिद की देख रेख करने वाली संस्था के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ‘हम अपनी हिन्दू बहनों के मंगल सूत्र के खरीदार नही है, न जाने कितने मौको पर हिफाज़त की गई है’
तारिक़ आज़मी
वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राजस्थान में मुस्लिम समाज को लेकर दिए गए भाषण पर विपक्ष की आलोचनाओं के दौर जारी है। कांग्रेस ने इसकी लिखित शिकायत केंद्रीय चुनाव आयोग से किया है। इस बीच लगभग सभी विपक्षी दलों ने इस भाषण की निंदा किया है। अब सामाजिक स्तर पर भी इसकी निंदा हो रही है। इस सम्बन्ध में ज्ञानवापी मस्जिद की देख रेख करने वाली संस्था अंजुमन इन्तेज़मियां मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने अपना बयान सोशल मीडिया पर जारी करते हुवे आवाम से शांति की अपील किया है।
एसएम यासीन ने कहा है कि ‘हम बहुत ही स्पष्ट रूप से कहना चाहते हैं कि हम अपनी हिन्दू बहनों के मंगल सूत्रों के ख़रीदार नहीं हैं। न जाने कितने मौक़ों पर हिफाज़त की गई है। वह परिवार आज भी इस शहर में मौजूद हैं। उनकी एक इज़्ज़त है, और उसकी राज़दारी ज़रूरी है। इस प्रकार के भाषणों की भर्त्सना करना हर समझदार का कर्तव्य है। ऐसा होगा तभी मुल्क में अमन-चैन रहेगा।‘
सन्देश के शुरुआत में उन्होंने कहा कि ‘लिखने को बहुत कुछ था, अगर लिखने पर आते। 2014 के बाद से परिस्थितियां सम्पूर्ण देश के लिए खराब से खराब तर होती गईं। मुसलमान इससे अछूते नहीं रहे। मुसलमानों के साथ ज़ुल्म की इनतेहा भी हुई। नाइंसाफी होती रही। इंसाफ़ करने वाले भी फ़ैसले तो कर रहेथे, लेकिन इन्साफ नहीं कर रहे थे। ऐसे में इन फ़ैसलों पर अमल दरामद कराने वाले कैसे निष्पक्ष रहते उनकी आस्था का भी सवाल है।‘
एसएम यासीन ने आगे लिखा कि ‘इस चुनाव में दो ही दल लड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। एक न्याय दिलाने के लिए लड़ रहा है, तो दूसरा अन्याय करने का अधिकार प्राप्त करने की कोशिश कर रहा है। अब भारत की जनता ही तय करेगी कि वह आने वाले वर्षों में शान्ति अशांति मे क्या चाहती है। हमारी सरकार ने लगभग 20-22 देशों को आमंत्रित किया है यहाँ की चुनाव प्रक्रिया दिखाने के लिए। लेकिन विदेशों में हमारे प्रधानमंत्री के हालिया भाषणों पर अपमानजनक टिप्पणियां हो रही हैं।’
एसएम यासीन ने लिखा कि ‘उनके द्वारा अपने धुर विरोधी दल के साथ आम मुसलमानों को बेइज़ज़त कर पूरा चुनाव हिन्दू-मुस्लिम करने की कोशिश हो रही है, और अब तो सभी मुख्यमंत्री, मंत्री और नेतागण भी ऐसी भाषा बोलने लगे हैं। यह तमाम लोग हमारे अज़ीज़ मुल्क को उस हद तक पहुंचा देंगे जहां से वापसी नहीं है। मुसलमान ही नहीं सभी वोटर इस समय दिए जा रहे असभ्य, अमर्यादित, ग़ैर क़ानूनी भाषणों को ध्यान में रखते हुए ही अपने वोट के अधिकार का इस्तेमाल करें।‘
सन्देश के अंत में उन्होंने कहा कि ‘यहां हम बहुत ही स्पष्ट रूप से कहना चाहते हैं कि हम अपनी हिन्दू बहनों के मंगल सूत्रों के ख़रीदार नहीं हैं। न जाने कितने मौक़ों पर हिफाज़त की गई है। वह परिवार आज भी इस शहर में मौजूद हैं। उनकी एक इज़्ज़त है, और उसकी राज़दारी ज़रूरी है। इस प्रकार के भाषणों की भर्त्सना करना हर समझदार का कर्तव्य है। ऐसा होगा तभी मुल्क में अमन-चैन रहेगा।‘