16 जून तक अपडेट हुवे आकड़ो के अनुसार इस साल हज के दरमियान हीट वेव से 550 हाजियों का हुआ इन्तेकाल, 2 हज़ार से अधिक का चल रहा अस्पताल में इलाज
प्रमोद कुमार
डेस्क: इस साल हज के दरमियान कम से कम 550 हाजियों का इन्तेकाल हो गया है। वही 2 हज़ार से ज्यादा हाजियों का इलाज चल रहा है। इस जानकारी की पुष्टि करने वाले अरब डिप्लोमैट्स ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि इनके पीछे सबसे बड़ी वजह हीट-वेव है। ये हाजी अलग-अलग देशों के हैं। इनमें 323 मिस्र के नागरिक थे। लगभग सभी ने गर्मी से संबंधित बीमारियों के कारण ही जान गवाई है।
दो अरब डिप्लोमैट्स ने अंतर्राष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी AFP को बताया कि उनमें से सभी (मिस्र के) लोग गर्मी की वजह से मरे हैं। सिवाय एक के, जो भीड़ के दौरान हुई धक्का-मुक्की से मारा गया। मक्का के अल-मुआइसिम में स्थित अस्पताल ने भी इस आंकड़े की पुष्टि कर दी है। हालाँकि इन आकड़ो में इजाफा हो सकता है क्योकि यह आकडे 16 जून तक के है।
जानकारी ये भी है कि जिन हाजियों का इन्तेकला हुआ है उनमे कम से कम 60 जॉर्डन से थे। हज के दौरान मौतों की रिपोर्ट करने वाले अन्य देशों में इंडोनेशिया, ईरान और सेनेगल शामिल हैं। मगर ज़्यादातर देशों ने ये साफ़ नहीं किया कि कितनी मौतें हीट वेव से संबंधित थीं। पिछले साल अलग-अलग देशों से लगभग 240 हाजी हज के दरमियान मारे गए थे। इनमें से अधिकतर इंडोनेशिया से थे।
गार्डियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, कुछ दिन पहले ही सऊदी अरब के अफ़सरों ने जानकारी दी थी कि गर्मी से पीड़ित 2,000 से अधिक हाजियों का इलाज चल रहा है। लेकिन रविवार, 16 जून के बाद से इस आंकड़े को अपडेट नहीं किया गया है। न ही मौतों के बारे में जानकारी दी है। सऊदी अरब में हुई एक हालिया स्टडी में पचा चला है कि धार्मिक स्थल वाले इलाक़े में तापमान हर दशक में 0।4 डिग्री सेल्सियस बढ़ रहा है। सऊदी राष्ट्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक़, सोमवार, 17 जून को मक्का की ग्रैंड मस्जिद में तापमान 51।8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था।
AFP के पत्रकारों ने मक्का के बाहर मीना शहर से रिपोर्ट किया था कि हाजियों का बुरा हाल है। वो अपने सिर पर पानी डाल रहे हैं। स्वयंसेवक उन्हें ठंडा रखने के लिए उन्हें कोल्ड ड्रिंक और आइसक्रीम दे रहे हैं। सऊदी अफ़सरों ने हाजियों को छाते का इस्तेमाल करने, पर्याप्त पानी पीने और दिन के सबसे गर्म घंटों के दौरान धूप में निकलने से परहेज़ करने की सलाह दी है। लेकिन हज की कई प्रथाओं के लिए खुले आसमान के नीचे रहना पड़ता है। जैसे, 15 जून को अराफात के अरकान।