भारत सरकार के द्वारा ‘संविधान हत्या दिवस’ की घोषणा के बाद संजय राउत ने आपातकाल को ठहराया सही फैसला, कहा ‘कुछ लोग अराजकता फैला रहे थे, बालासाहब ठाकरे भी आपातकाल के समर्थन में थे’
ईदुल अमीन
डेस्क: शुक्रवार को भारत सरकार ने गजट पत्र जारी कर 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की। इसके बाद विवाद शुरू हो गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा, ‘25 जून, 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने अपनी तानाशाही मानसिकता को दर्शाते हुए देश में आपातकाल लगाकर भारतीय लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया था। लाखों लोगों को बिना किसी वज़ह के जेल में डाल दिया गया और मीडिया की आवाज़ को दबा दिया गया। भारत सरकार ने हर साल 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय किया है।’
इस मामले में शिवसेना उद्धव बाला साहेब ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने साल 1975 में देश में लगाए गए आपातकाल को सही ठहराया। संजय राउत ने कहा, ‘आपातकाल क्यों लगाया गया, इस देश में कुछ लोग अराजकता फ़ैलाना चाहते थे। रामलीला मैदान से खुला एलान किया गया था कि आर्मी सरकार के आदेशों का पालन न करें। पुलिस फोर्स को भड़काया जा रहा था कि सरकारी आदेश का पालन न करो। इसे अराजकता कहते हैं।’
उन्होंने कहा कि ‘ऐसे में अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री होते तो वो भी आपातकाल लगाते। ये देश के सुरक्षा का मामला था। उस समय देश में कुछ लोग बम बना रहे थे और जगह-जगह बम विस्फोट कर रहे थे। मैं आपको बताना चाहता हूं, अमित शाह को आपातकाल क्या है मालूम नहीं है। उस समय वो कितने साल के थे मुझे पता नहीं। जिस बाला साहेब ठाकरे का नकली शिवसेना के साथ मिलकर वो गुणगान गा रहे हैं न, उनको पता होना चाहिए शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने उस वक्त आपातकाल और इंदिरा गांधी को खुला समर्थन दिया था।’
उन्होंने कहा कि, ‘बालासाहेब ने मुंबई में इंदिरा गांधी का स्वागत किया था। आरएसएस ने भी आपातकाल का समर्थन किया था। उसके बाद जनता पार्टी और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार आई, लेकिन उन्हें नहीं लगा कि संविधान की हत्या हुई है। तो ये कौन हैं। बीजेपी लोगों को गुमराह करना चाहती है। उनके पास बहुमत नहीं है। लोगों ने उनको हराया और नकारा है। इसलिए उनका दिमाग ठिकाने नहीं है।’