कावड मार्ग पर खाने पीने की दुकानों के बाहर नाम लिखे जाने के आदेश पर भाजपा के सहयोगी आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने दिया भाजपा को नसीहत

तारिक़ खान

डेस्क: रविवार को जयंत चौधरी जिले मुज़फ़्फ़रनगर के भोपा थाने के पास युसुफपुर गांव में शहीद जवान की प्रतिमा का अनावरण करने के लिए पहुंचे है. इस दौरान उनका उत्तर प्रदेश में कांवड़ मार्ग पर खाने-पीने की दुकानों पर नाम लिखवाने को लेकर उन्होंने भी बीजेपी को नसीहत दी है। मुज़फ़्फ़रनगर में ज़िला प्रशासन ने खाद्य सामग्री बेचने वाले दुकानदारों से अपने नाम बड़े-बड़े अक्षरों में लिखने के लिए कहा है। इस फ़ैसले को लेकर विवाद भी हो रहा है।

अब जयंत चौधरी ने कहा है कि ये फ़ैसला सोच समझ कर नहीं लिया गया है और इसे वापस लिया जाना चाहिए। जयंत चौधरी ने कहा, ‘वैसे तो ये कोई मुद्दा नहीं है। इस विषय पर हमारे प्रदश अध्यक्ष बोल चुके है। वो एक पार्टी का स्टैंड है और जो कांवड़ लेकर जाते हैं, उनकी सेवा में सभी लोग लगते हैं। ना तो कांवड़ लेकर जाने वाला कोई व्यक्ति पहचान करता है। जो सेवादार है वो उनकी सेवा एक आशीवार्द की तरह प्राप्त करते है और आगे चलते है।’\

उन्होंने कहा, ‘धर्म या जाति की पहचान करके कोई सेवा नहीं लेता। इस मामले को धर्म और जाति से भी नहीं जोड़ा जाना चाहिए। सब अपनी दुकानों पर नाम लिख रहे हैं। मालिक कोई और हो सकता है और ब्रांड कोई ओर हो सकता है। मैकडॉनल्ड क्या लिखेगा? खतौली में बर्गर किंग क्या लिखेगा? पुराने ब्रांड है। किसी के भी नाम हो सकते हैं। एक नहीं, कई मालिक हो सकते है।’

सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए जयंत चौधरी ने कहा, ‘सरकार ने यह फैसला ज्यादा सोच समझ कर नहीं लिया। अब फैसला ले लिया तो उस पर टिक रहे हैं, अभी भी समय है, वापस हो जाना चाहिए। या इस पर ज्यादा ज़ोर नहीं दिया जाना चाहिए।’ हालांकि उन्होंने ये भी कहा, ‘मैं देख रहा हूं। प्रशासन पर इसके लिए कोई ज्यादा जोर या दबाव नहीं दिया गया। जो अपनी मर्जी से लगा रहा है, वो लगा लें। जहां तक वेज और नॉनवेज की बात है। इसमें सेंस है। अगर कोई वेजिटेरियन है तो उसे पता होना चाहिए कि जो पदार्थ है उसमें सब वेजिटेरियन होना चाहिए, जो प्रक्रिया है बनाने की वो वेजिटेरियन हो।’

जयंत चौधरी ने कहा, ‘किसके हाथ से बन रही है, उससे क्या मतलब? मुसलमान वेजिटेरियन है और हिंदू नॉनवेज खाने वाले भी है। कहां-कहां नाम लिखें?’ टायर पंचर की दुकानों पर नेम प्लेट लगाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘कहां-कहां लगाओगे अब? या अब कुर्ते में भी नाम लिखना शुरू कर दें, ताकि देख कर हाथ मिलाना है या गले लगाना है।’

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