कमाल-अल-दीन मकबरे भोजशाला विवाद: एएसआई ने जमा किया अदालत में सर्वे रिपोर्ट, जाने क्या है पूरा मामला और कौन थे कमाल-अल-दीन
तारिक़ खान
डेस्क: मध्य प्रदेश के धार में स्थित एतिहासिक कमाल-अल-दीन मकबरा/भोजशाला विवाद में एएसआई ने सर्वे रिपोर्ट आज मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में जमा कर दिया है। एएसआई ने अभी कोई भी बयान नही जारी किया है कि रिपोर्ट में क्या सामने आया है। मगर हिंदूवादी संगठनो ने अपने दावो को तेज कर दिया है और कहा है कि कई मंदिरों और मूर्तियों के अवशेष सर्वे में मिले है।
एएसआई ने भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वेक्षण का आदेश इस साल 11 मार्च को दिया था। अदालत ने ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ की याचिका पर ये फ़ैसला सुनाया था। इस रिपोर्ट में पता चलेगा की एएसआई को अपने सर्वे में क्या क्या मिला? यह रिपोर्ट तक़रीबन 2000 पेजों की है। कोर्ट के आदेश पर भोजशाला के सर्वे की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी कराई गई थी। हालांकि अभी तक एएसआई ने नहीं बताया है कि उसे उस स्थान से क्या क्या मिला?
लेकिन हिंदू पक्ष का दावा है कि भोजशाला में सर्वे के दौरान बहुत सारे हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां मिली हैं जिससे उनका दावा मज़बूत होता है। इस मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी। मध्य प्रदेश में भोजशाला का मामला अक्सर उठता रहा है। साल 2003 में एएसआई ने एक समाधान निकालते हुए यहां हिंदुओं को मंगलवार को पूजा, वहीं मुस्लिम समुदाय को शुक्रवार को नमाज़ पढ़ने की इजाज़त दी थी।
इसके साथ ही ये भी व्यवस्था हुई कि हिंदू बसंत पंचमी के दिन यहां पूजा कर सकते हैं। ‘हिंदू फ़्रंट फ़ॉर जस्टिस’ ने एएसआई के आदेश को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में दो मई, 2022 को चुनौती दी। इनका कहना था कि भोजशाला परिसर पर सिर्फ़ हिंदू समुदाय के लोगों को पूजा करने का अधिकार है। भोजशाला के बारे में दावा किया जाता है कि इसकी स्थापना राजा भोज ने एक महाविद्यालय के रूप में की थी। जिसे बाद में भोजशाला के रूप में जाना जाने लगा।
प्रसिद्ध कमाल मौला मस्जिद में देखे जा सकते हैं, जिसे धार के तत्कालीन मुस्लिम शासकों ने बनवाया था। मस्जिद में एक बड़ा खुला प्रांगण है, जिसके चारों ओर स्तंभों से सजा एक बरामदा और पीछे पश्चिम में एक प्रार्थना गृह स्थित है। यहां कमाल अल दीन का मज़ार है। वो चिश्ती संत हैं और बाबा फ़रीद गंज-ए-शकर के मुरीद और निज़ामुद्दीन औलिया के अनुयायी थे। उनका मकबरा इस मस्जिद के पास है, जिसके बारे में दावा किया जाता है कि इसे मंदिर के हिस्सों से बनाया गया है।