मध्य प्रदेश के रीवा में विरोध कर रही महिलाओं पर पलटा मुरम, अमानवीय कृत्य का वीडियो हुआ वायरल, कांग्रेस हुई सरकार पर हमलावर, देखे दिल दहला देने वाली मौके की तस्वीरे
तारिक़ आज़मी
डेस्क: मध्य प्रदेश के रीवा ज़िले में सड़क निर्माण के दौरान मुरम डालने का विरोध करने वाली दो महिलाओं आशा पाण्डेय और ममता पाण्डेय को मुरम से निकाले जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। मुरम में दबी महिलाओं का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पुलिस ने मुक़दमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इस घटना को लेकर पीड़ित महिलाओं ने मुरम डालने वालों पर जान से मारने की कोशिश के आरोप लगाए हैं। पुलिस घटना की जांच कर रही है।
पुलिस की मानें तो शनिवार दोपहर करीब 2 बजे गौकरण पांडेय और देवर विपिन पांडेय विवादित जमीन पर सड़क बनवाने के लिए हाइवा से मुरम लेकर पहुंचे थे। इसे देख आशा पांडेय अपनी देवरानी ममता पांडेय के साथ जाकर हाइवा क्रमांक एमपी 17 एचएच-3942 के चालक को मुरम गिराने से मना करने लगीं। हाइवा चालक ने दोनों की बात नहीं सुनीं। विरोध स्वरूप ममता और आशा मुरम गिरने वाली जगह पर बैठ गईं ताकि मुरम न गिराई जा सके। पर डंपर चालक को इसकी भनक नहीं लगी और वो उसने हाइवा की ट्रॉली उठाकर मुरम खाली कर दी और पीछे बैठी दोनों महिलाएं दब गईं।
मौके पर मौजूद ग्रामीणों ने उन्हें बाहर निकालने की कोशिश की। कोई हाथ पकड़कर खींच रहा ता तो कोई फावड़े से मुरम हटाने लगा। काफी मशक्कत के बाद उन्हें बाहर निकाला गया और अस्पताल पहुंचाया गया। रीवा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक का कहना है कि पूरे मामले का विश्लेषण करते हुए पुलिस जांच कर रही है। रीवा क्षेत्र के डीआईजी साकेत प्रकाश पाण्डेय ने बताया कि इस घटना के पीछे संपत्ति संबंधी पारिवारिक विवाद है। पुलिस ने इस घटना के संबंध में भारतीय न्याय संहिता की धारा 110 (आईपीसी 308) के तहत तीन लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज कर लिया है। इनमें डंपर चालक प्रदीप कोल, महिलाओं के पारिवारिक ससुर गोकरण पाण्डेय और भतीजा विपिन पाण्डेय शामिल है।
पुलिस के मुताबिक़, डंपर को ज़ब्त करके एक अभियुक्त को गिरफ़्तार किया गया है जबकि दो अन्य अभियुक्त फरार हैं। पुलिस का कहना है कि जांच वायरल वीडियो के आधार पर की जा रही है और अभियुक्तों की संख्या बढ़ सकती है। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक़, इस घटना के पीछे ज़मीनी विवाद है। महिलाएं ज़मीन पर ज़बरदस्ती सड़क बनाये जाने का विरोध कर रहीं थीं। जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है उसमें महिलाएं मुरम में दबी हुई दिख रही हैं। गांव के कई लोग उन्हें बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं।
ग्रामीणों ने महिलाओं को मुरम के नीचे से निकालकर तुरंत नज़दीकी अस्पताल पहुंचाया। पुलिस ने अपने बयान में ये नहीं कहा है कि महिलाओं पर मुरम ज़बरदस्ती डाला गया। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, सड़क निर्माण के दौरान महिलाएं मुरम में दब गईं, पूरी घटना की जांच की जा रही है। पीड़ित महिलाओं का आरोप है कि जिस ज़मीन पर सड़क बनाई जा रही है वो उनकी पट्टे की ज़मीन है। पीड़ित महिलाओं को उपचार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे गई है।
मामले में कांग्रेस हमलावर हो गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि रीवा ज़िले की इस घटना ने एक बार फिर भाजपा शासन की महिला सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाए हैं! वैसे भी मध्य प्रदेश महिलाओं पर अत्याचार में पहले नंबर पर है! सीएम मोहन यादवजी, रीवा के मनगवां की इन बहनों को मुरम में दबाया गया और उनकी जान लेने की कोशिश की गई! क्या आपकी सरकार से यह बहनें उम्मीद रख सकती हैं कि इस घटना की निष्पक्ष एवं त्वरित जांच होगी और उन्हें प्राथमिकता से न्याय मिलेगा? खैर आपकी सरकार महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों को रोकने में बार-बार असफल हो रही है!
पूर्व मंत्री अरुण यादव ने भी सवाल उठाए हैं। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता कुणाल चौधरी ने कहा कि आरोपियों को सरंक्षण प्राप्त है। अपराधियों में डर खत्म हो गया है। महिला आयोग की पूर्व सदस्य एवं कांग्रेस प्रवक्ता संगीता शर्मा का कहना है कि मप्र में महिलाएं असुरक्षित हैं। रीवा की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार बेटियों-बहनों के साथ अन्याय होने से रोक नहीं पा रही है। मप्र की बहनें देशभर में सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं।
नोट: समस्त तस्वीरे वायरल वीडियो के स्क्रीन शॉट