लो.. अब और सुनो…! अमीरों के शौक का स्थल पीएनयु क्लब संस्था फिर हुई कालातीत, ‘ये भाई… सुनो तो…., इतना सन्नाटा क्यों है भाई?’
तारिक़ आज़मी
वाराणसी. अमीरों के शौक की जगह पीएनयु क्लब, बड़े घरानों के युवाओ और बुजुर्गो के इकठ्ठा होकर मौज मस्ती की जगह पीएनयु क्लब। कहने को तो वाराणसी में और भी बड़े बड़े क्लब है जिसमे रोटरी क्लब, बनारस क्लब आदि है। मगर चर्चाओं में अकसर रहने वाला एक ही क्लब है वह है पीएनयु क्लब। कभी चुनाव को लेकर चर्चा तो कभी गुटबाजी की चर्चा, कभी गन शॉट की चर्चा तो कभी हंगामे की चर्चा। कभी एक दुसरे पर मुकदमेबाजी की चर्चा तो कभी बयानबाजी की चर्चा।
गुरु सच बताये तो अक्सर मज़ा ही आ जाता है इन चर्चाओं को सुनकर। सबसे ज्यादा मजा तो तब आता है जब एक पक्ष के लिए दूसरा पक्ष बयानबाजी करने लगता है। न नियमो की जानकारी, न कानून की चिन्ता बस बयानवीर बनकर चंद सिक्के उछालो और समाज के सामने अपना बयान लाओ। इस क्लब का खुद को पदाधिकारी बनने की चाहत गुरु तो ऐसी रहती है कि दे दनादन एक दुसरे पक्ष पर आरोप प्रत्यारोप लगता रहता। मुकदमा एक दौरे पर करना तो जैसे फैसन सब है। कभी केहू केहू पर मुकदमा कर देता है तो केहू केहू के पटखनी दे देता है।
ऐसा लगता है पीएनयु क्लब मौज का नहीं चर्चाओं का केंद्र बिंदु है। ईहे सब के बीच एक चौकस खबर ऐसी आई है कि सन्नाटा ही पसर गया है। समझे में नहीं आ रहा है कि कौन जीता कौन हारा…..? हुआ कुछ ऐसा है कि सहायक रजिस्ट्रार मंगलेश सिंह पालीवाल ने अपने आदेश दिनांक 29 जून 2024 के तहत पत्रांक संख्या 964(i) के द्वारा अशोक कुमार वर्मा को सूचित किया कि ‘गुरु बहुत हुआ, अब संस्था कालातीत होती है, चुनाव हम करवायेगे।’ इस आदेश के बाद तो ऐसा सन्नाटा छाया कि जिस पीएनयु क्लब में धिकचियायु धिकचियायु से लेकर ले ढिशुम दे ढिशुम की चर्चाओं को सुना जाता था। वह सन्नाटा छाया है। सन्नाटा तो वह भंननाटेदार है कि हमको कहना पद गया कि ‘भाई इतना सन्नाटा क्यों है…..?’
हम जैसे ही पूछा तो खरे ने खरी खरी बोल दिया कि सन्नाटा इसलिए है कि संस्था की कमेटी ही कालातीत हो गई है। आदेश भी उन्होंने हमको दिखाया। दरअसल जिलाधिकारी के आदेश पर एडीएम सिटी ने चुनाव करवाया था और संस्था के पदाधिकारी वर्ष 2022-23 के लिए चुन लिए गये थे। जिसके बाद पुनः चुनाव करवाते हुवे प्रबंध तंत्र की सूचि 2023-24 चुन ली गई। जिसको कार्यालय चिट फंड के द्वारा पंजीकृत भी किया गया मगर इस पुरे प्रक्रिया पर ही सवालिया निशान उठा और मामला सुनवाई में चला गया। आपत्ति के क्रम में 29-05-2024 को पत्र जारी कर अध्यक्ष और सचिव से जवाब माँगा गया कि कैसे संस्था के कार्यकाल को बढाया गया।
यही नही 14 जून को पत्र देकर अध्यक्ष और सचिव को कहा गया कि मूल अभिलेख लेकर आये और बताये कैसे संस्था के पदाधिकारियों का कार्यकाल बढाया गया। आखिर नियत तिथि 21 जून को अभिलेख लेकर संस्था के पदाधिकारी आये और चौकस बहस हुई। जमकर पेश हुई दलीलों के बीच पाया गया कि कुछ तो गड़बड़ है। जिसके बाद दोनों पक्ष यानी कि अध्यक्ष महोदय और शिकायतकर्ता दोनों इस बात पर राज़ी हुवे कि एसडीएम द्वारा स्वीकृत 835 सदस्यों की सूचि पर चुनाव अधिकारी नियुक्त करते हुवे चुनाव निष्पक्ष करवाया जाए। जिसके बाद सहायक रजिस्ट्रार ने कहा कि भाई अब बहुत हुआ, 835 स्वीकृत सदस्यों के साथ चुनाव कराये जाने का आदेश देते है और संस्था के प्रबंध कमेटी को कालातीत घोषित करते है।
वैसे इस आदेश के बाद ऐसा सन्नाटा छाया है कि किसी को पता ही नही कि क्या हुआ। आदेश इस बात को भी साफ़ साफ़ बता रहा है कि धनाढ्यो की इस संस्था पीएनयु क्लब में कुछ तो गड़बड़ है तभी तो कार्यकाल पूरा होते ही दुसरे चुनाव के साथ सोसाईटी में प्रबंध समिति की लिस्ट जमा कर डाला और कहा साहब चुनाव हो गया। जबकि बहस के दरमियान ये गलत साबित हुआ और गड़बड़ी पाई गई तभी तो दोनों पक्ष चुनाव करवाने के लिए तैयार हो गए। भाई शिकायतकर्ता तो चुनाव करवाने की मांग लेकर ही गया था। मगर प्रबंध समिति कह रही थी कि नही चुनाव हो गया और हम अध्यक्ष और हम फलाने. हुआ क्या…..? सन्नाटा है क्यों बरपा….! अरे हजूर तनिक मुस्कुरा दे मालिक….!