खूब वायरल हो रहा है वह बयान जिसमे बोले नगीना से सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ‘कावड़ियो के लिए सड़क पर जगह है, मगर ईद की नमाज़ के लिए नहीं, देश संविधान से चलेगा’
ईदुल अमीन
डेस्क: आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के अध्यक्ष और सांसद चंद्रशेखर का एक बयान ईद की नमाज़ और कावड यात्रा को लेकर इस समय काफी चर्चा में है। सोशल मीडिया पर इस बयान को टिप्पणियों के साथ शेयर किया जा रहा है। लगभग दो मिनट 20 सेकेंड के इस वीडियो में चंद्रशेखर के आसपास उनके समर्थक मौजूद हैं और वह उन्हें संबोधित कर रहे हैं, हालांकि कुछ टीवी चैनलों को भी उन्होंने ऐसा ही बयान दिया था।
चंद्रशेखर आज़ाद ने अपने इस बयान में सपाट भाषा में कहा है कि ‘हिंदू धर्म की आस्था है, 10 दिन कांवड़ चलता है, सारे होटल बंद होते हैं, अस्पताल बंद होते हैं, कई बार ऐसा होता है कि अस्पताल जाना होता है, लेकिन उस रास्ते जा नहीं पाते, कहीं और से अस्पताल जाते हैं, लेकिन उनकी आस्था को ठेस ना पहुंचे तो लोग सहते हैं, पर 20 मिनट अगर ईद वाले दिन नमाज़ हो रही है तो कहते हैं नमाज़ होने नहीं देंगे, क्या देश एक ही धर्म का है, क्या दूसरे धर्म के लोगों की इज़्ज़त नहीं है।’
अपने इस बयान पर नगीना से सांसद चंद्रशेखर आज़ाद कहते है कि ‘हां, संसद से वापस आने के बाद मैं नजीबाबाद इलाक़े में 23 जून को गया था, वहां मेरी लोकसभा के लोगों ने ये मसला मेरे सामने रखा था, तब मैंने कहा कि धार्मिक आज़ादी सभी के लिए है, सत्ता पक्ष ये दावा करता है कि सबका साथ सबका विकास और प्राइम मिनिस्टर ख़ुद मुसलमानों की बात करते हैं, पसमांदाओं की बात करते हैं। बड़ा सवाल ये है कि किसी की भी धार्मिक भावना को ठेस नहीं पहुंचनी चाहिए।’
चंद्रशेखर ने कहा, ‘10-12 दिन कांवड़िये चलते हैं, मैं पश्चिम उत्तर प्रदेश क्षेत्र से आता हूं, सभी रूट ब्लॉक हो जाते हैं, जब रूट ब्लॉक होते हैं तो लोगों को तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ता है, बीमारों को भी परेशानी होती है। जब हिंदू धर्म की आस्था का पूरा सम्मान किया जाता है और सब लोग अपनी परेशानियों को भूलकर उनकी आस्था में सभी धर्म के लोग योगदान करते हैं, फूल बरसाते हैं…।’
उन्होंने कहा कि ‘तो फिर अगर हम ये मानें कि सत्ता एक ही धर्म की है तो अलग बात है, कोई उम्मीद ही ना करे, लेकिन जब सत्ता में बैठे लोग ये दावा करें कि सत्ता सभी की है, हम सभी के लिए चिंतित हैं तो इस बात का जवाब देना पड़ेगा कि साल में दो बार 20-20 मिनट ईद की नमाज़ पढ़ने के लिए उनकी आस्था का सम्मान करें, उनको भी अपने धर्म को मानने की आज़ादी दें तो इसमें किसी का नुक़सान नहीं हो सकता है।’