नीट-यूजीसी परीक्षा प्रकरण में सुनवाई करते हुवे सुप्रीम कोर्ट ने कहा ‘एक ऐसी स्थिति में जहां परीक्षा की शुचिता भंग हुई है और उसने पूरी प्रक्रिया पर असर डाला है, ऐसे हालात में दोबारा परीक्षा का आदेश दिया जा सकता है’

आदिल अहमद

डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने नीट-यूजी पेपर लीक मामले पर दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कहा है कि पेपर लीक हुआ होगा, लेकिन इसकी पुष्टि के लिए कुछ तथ्यों की जरूरत होगी, जैसे कि गड़बड़ी बड़े पैमाने पर हुई या कुछ जगहों तक ही सीमित रही।

चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने मंगलवार ( 8 जुलाई 2024) को याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कहा, ‘एक ऐसी स्थिति में जहां परीक्षा की शुचिता भंग हुई है और उसने पूरी प्रक्रिया पर असर डाला है, वहां ये संभव नहीं है कि इसका लाभ लेने वालों को बाकी छात्रों से अलग करके निकाला जा सके। ऐसे हालात में दोबारा परीक्षा का आदेश दिया जा सकता है।’

अदालत ने कहा कि ‘लेकिन अगर परीक्षा प्रक्रिया में गड़बड़ी कुछ ख़ास इलाकों और परीक्षा केंद्रों तक सीमित है तो इसका लाभ लेने वालों की पहचान की जा सकती है। ऐसे में 23 लाख छात्र-छात्राओं के लिए दोबारा परीक्षा देने का आदेश देना उचित नहीं हो सकता।’ सुप्रीम कोर्ट नीट-यूजी परीक्षा दोबारा कराने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। शिक्षा मंत्रालय ने 22 जून को नीट-यूजी परीक्षा में कथित गड़बड़ी की जांच सीबीआई को सौंप दी है।

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