बांग्लादेश में दो दशक से सत्ता के शीर्ष पर रही,एशिया की ज़बसे मजबूत लेडी शेख हसीना के इस्तीफा देकर देश छोड़ने के बाद सडको पर उतरी भीड़ मना रही जश्न, पीएम आवास पर हुई तोड़फोड़ और लूटपाट

आफताब फारुकी

डेस्क: बांग्लादेश की राजधानी ढाका में लोगों की विशाल भीड़ शेख़ हसीना की विदाई का जश्न मना रही है। बांग्लादेश में चल रहे छात्रों के प्रदर्शन के बाद शेख हसीना ने इस्तीफ़ा देकर देश छोड़ दिया है। शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश के सेना प्रमुख ने देश को संबोधित कर शांति की अपील की है।

हालाँकि इस अपील के बाद भी देशभर से लूटपाट और आगजनी की ख़बरे आई हैं। सेनाध्यक्ष वकार-उज़-ज़मान ने कहा है कि देश में अब एक अंतरिम सरकार का गठन किया जाएगा। बांग्लादेश में शेख़ हसीना के इस्तीफ़ा देने और देश छोड़कर चले जाने के बाद कई शहरों में बड़े पैमाने पर लूटपाट और आगजनी की घटनाएं सामना आई हैं। ढाका में लोगों का हुजूम सड़कों पर उतर पड़ा और पीएम आवास समेत कई इमारतों में तोड़फोड़ हुई है। तस्वीरों में प्रधानमंत्री कार्यालय से लोगों को सामान उठाकर ले जाते हुए भी देखा गया है। जबकि प्रदर्शनकारी आवास में सोफ़ों पर बैठे और सेल्फ़ी लेते नज़र आए।

इसके अलावा शेख़ हसीना सरकार के गृह मंत्री के आवास में भी तोड़ फोड़ की गई। बांग्लादेश के सेना प्रमुख ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने यह भी कहा कि देश में एक अंतरिम सरकार बनाई जाएगी और इसके लिए सभी पक्षों से बातचीत की गई है। बांग्लादेश के मौजूदा हालात पर ब्रिटेन और यूरोपीय संघ ने चिंता जताई है और देश में लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए फौरन कदम उठाने की बात कही है।

ढाका के गणभवन में कुछ प्रदर्शकारी शेख़ मुजीबुर्रहमान की मूर्ति पर भी चढ़ गए और मूर्ति को तोड़ने की कोशिश की। मुजीबुर रहमान, शेख़ हसीना के पिता थे। उन्हें बांग्लादेश की आज़ादी का जनक माना जाता है। शेख़ मुजीब के नेतृत्व में बांग्लादेश ने साल 1971 में पाकिस्तान से आज़ादी की लड़ाई लड़ी थी। पिछले महीने बांग्लादेश में सर्वोच्च अदालत के आदेश के बाद आज़ादी की लड़ाई में शामिल हुए लोगों के बच्चों को सरकारी नौकरी में आरक्षण की सुविधा दी गई थी। इस आदेश के बाद ही देश में आरक्षण के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था।

बताते चले कि बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के ख़िलाफ़ देश के छात्र जुलाई महीने से ही आंदोलन कर रहे थे। यह आंदोलन काफ़ी उग्र और हिंसक हो गया था और जुलाई माह में ही 300 से ज़्यादा लोग मारे गए। पिछले महीने ही शेख़ हसीना ने इस आंदोलन से निपटने के लिए सेना को तैनात किया था, लेकिन इसका आंदोलन पर ज़्यादा असर नहीं पड़ा।

बांग्लादेश के छात्रों ने रविवार से सविनय अवज्ञा आंदोलन की अपील की थी। इसमें लोगों से तमाम सरकारी टैक्स न देने की अपील की गई थी। रविवार को बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी और इसमें क़रीब 90 लोगों की मौत हुई जबकि सोमवार को 20 लोगों के मारे जाने की पुलिस ने पुष्टि की है। शेख़ हसीना के बेटे सजीब वाजिद रॉय ने के कार्यक्रम में बताया है कि उनकी माँ रविवार को ही अपना पद त्यागने का मन बना चुकी थीं।

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