असम: युवती पर कथित हमले के खिलाफ उल्फा की धमकी और विरोध प्रदर्शन, मामला हुआ असमिया बनाम गैर-असमिया, आरोपियों के पुरे समाज ने राज्य के कैबिनेट मंत्री की मौजूदगी में घुटने पर बैठ मांगी माफ़ी

प्रमोद कुमार

डेस्क: असम के शिवसागर ज़िले में एक 17 साल की युवती पर कथित हमले के बाद पूरे शहर में माहौल खराब हो गया। स्थानीय लोगों के गुस्से के बीच प्रतिबंधित उग्रवादी समूह उल्फा (I) ने गैर-असमिया लोगों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्हें धमकियां दी जाने लगीं। बीते 19 अगस्त को इलाके में विरोध प्रदर्शन भी हुए। इस दौरान उन दुकानों को बंद करा दिया गया जिनके मालिक गैर-असमिया थे।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार पूरा मामला असमिया बनाम ग़ैर-असमिया हो गया। फिर, स्थिति और ना बिगड़े इसे लेकर प्रशासन हरकत में आया। मामला ठंडा तब हुआ जब मारवाड़ी समूहों के प्रतिनिधियों ने ‘माफ़ी’ मांगी, वो भी सबके सामने घुटनों के बल बैठकर। इस दौरान राज्य के एक कैबिनेट मंत्री भी उपस्थित थे। पुलिस ने जानकारी दी है कि मामले में बीएनएस और पोक्सो एक्ट के प्रावधानों के तहत दो लोगों को गिरफ़्तार भी किया गया है।

बताते चले कि युवती पर कथित हमला 13 अगस्त को हुआ था। वो आर्म रेसलर भी है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, आरोपियों की पहचान मारवाड़ी समुदाय के स्थानीय व्यापारियों के रूप में हुई। इसके बाद पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ़्तार किया। जब ये जानकारी फैली, तो इस मुद्दे ने शहर में ग़ैर-असमिया निवासियों और ख़ासकर ग़ैर-असमिया कारोबारियों के ख़िलाफ़ स्थानीय लोगों में ग़ुस्सा भड़क गया। इसे लेकर 19 अगस्त को 30 असमिया राष्ट्रवादी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया।

इस दौरान ऐसे लोगों के दुकानों के शटर गिरा दिए गए, जो ग़ैर असमिया थे। विरोध प्रदर्शनों के बाद 20 अगस्त को एक बैठक आयोजित की गई। इसमें असमिया राष्ट्रवादी समूहों के साथ-साथ मारवाड़ी समूहों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार इस बैठक की अध्यक्षता राज्य के कैबिनेट मंत्री रनोज पेगू (शिवसागर जिले के संरक्षक मंत्री भी) ने किया। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि उनसे घुटने टेककर माफ़ी मांगी जाए। इस बैठक में हुआ भी यही। मारवाड़ी समूह के प्रतिनिधियों ने मंत्री पेगु के सामने घुटने पर बैठकर सार्वजनिक माफ़ी मांगी और पान-तमुल (सुपारी) भेंट की।

बैठक में ज़िला प्रशासन के प्रतिनिधि, प्रदर्शनकारी संगठन और मीडिया, सब मौजूद थे। बताया गया कि असमिया राष्ट्रवादी संगठनों ने तीन और प्रमुख मांगें उठाई थीं। मसलन ज़िले में ग़ैर-स्थानीय लोगों को ज़मीन की बिक्री पर रोक लगाने के लिए एक कानून लाया जाए, ग़ैर असमिया लोगों के दुकानों के होर्डिंग्स पर उनके प्रतिष्ठानों का नाम ‘बड़े अक्षरों’ में असमिया लिपि में लिखा जाए और ग़ैर-असमिया दुकान वाले ये सुनिश्चित करें कि उनके दुकानों में काम करने वाले 90% लोग ‘स्वदेशी’ यानी असम के युवा हों।

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *