महाराष्ट्र बदलापुर में मासूम बच्चियों से कथित यौन शोषण मामले में SIT के शुरूआती जाँच में चौकाने वाला खुलासा, बच्चियों के साथ एक बार नही बल्कि कई बार हुआ यौन शोषण

आदिल अहमद

डेस्क: महाराष्ट्र के बदलापुर में दो स्कूली बच्चियों के कथित यौन उत्पीड़न के मामले में विशेष जांच दल (SIT) की शुरुआती रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट बताती है कि दोनों बच्चियों का हाइमन टूटा हुआ था। सबसे आश्चर्यजनक बात रिपोर्ट में आई है कि पिछले 15 दिनों (घटना सामने आने वाले दिन से) में दोनों बच्चियों के साथ कई बार यौन उत्पीड़न हुआ था। SIT की ये शुरुआती जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी गई है।

इंडिया टुडे ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि उसको एसआईटी की इस रिपोर्ट की कॉपी मिली है। इसमें बताया गया है कि दोनों पीड़ित बच्चियों की उम्र 3 और 4 साल है। यौन उत्पीड़न की घटना 12 और 13 अगस्त की है। निजी स्कूल के वॉशरूम में सफाई कर्मचारी अक्षय शिंदे ने कथित तौर पर बच्चियों का यौन उत्पीड़न किया था। घटना के सामने आने के बाद ठाणे में भारी विरोध प्रदर्शन हुए। गुस्साई भीड़ ने 21 अगस्त को अक्षय शिंदे के घर पर तोड़-फोड़ भी की थी।

भारी विरोध के बाद राज्य सरकार ने दो सदस्यीय SIT गठित की थी। इस SIT की अध्यक्षता पुलिस महानिरीक्षक (IG) आरती सिंह कर रही हैं। SIT ने पीड़ित बच्चियों, उनके पेरेंट्स और स्कूल स्टाफ के बयान दर्ज किए हैं। टीम इस बात की भी जांच कर रही है कि क्या आरोपी ने स्कूल में दूसरे बच्चों के साथ भी ऐसा किया। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, SIT की रिपोर्ट में स्कूल प्रशासन पर भी कई सवाल खड़े किए गए हैं। घटना की रिपोर्ट करवाने में स्कूल ने देरी की। प्रिंसिपल ने 14 अगस्त को स्कूल ट्रस्टी को इसके बारे में जानकारी दी।

रिपोर्ट बताती है कि शिकायत के बाद भी स्कूल प्रशासन बच्चियों के पेरेंट्स से नहीं मिला। इसके अलावा, जिस अस्पताल में बच्चियों को ले जाया गया, वहां 12 घंटे बाद उन्हें देखा गया। इंडिया टुडे ने सूत्रों ने के हवाले से बताया है कि उसको आरोपी के बारे में भी कुछ जानकारी दी है। आरोपी अक्षय शिंदे ने 1 अगस्त को संविदा पर काम शुरू किया था। रिपोर्ट बताती है कि उसे बिना आईडी कार्ड के महिलाओं के टॉयलेट में भी जाने की इजाजत थी। रिपोर्ट में लिखा गया है कि वह ‘आदतन अपराधी’ मालूम होता है।

SIT ने सवाल उठाया है कि स्कूल प्रशासन के खिलाफ POCSO (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) कानून के तहत क्यों नहीं कार्रवाई नहीं चाहिए। कहा गया है कि स्कूल प्रशासन ने शिकायत पर 48 घंटे तक कोई कार्रवाई नहीं की। जबकि POCSO के तहत ये अनिवार्य है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती है कि SIT ने घटना की रिपोर्ट दर्ज नहीं कराने पर स्कूल प्रशासन का नाम भी FIR में जोड़ दिया है। पाक्सो कानून की धारा-21 के तहत, ऍफ़आईआर में स्कूल के प्रबंधकों, प्रिंसिपल और टीचर को भी आरोपी बनाया गया है।

ये कार्रवाई बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्देशों के बाद हुई है। कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया था। राज्य सरकार से पूछा गया था कि क्या स्कूल के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई है। इधर, बॉम्बे हाई कोर्ट ने 24 अगस्त को प्रस्तावित ‘महाराष्ट्र बंद’ पर रोक लगा दी है। इस घटना के खिलाफ महा विकास अघाडी  और दूसरे विपक्षी दलों ने एक दिन का बंद बुलाया था। लेकिन इस बंद को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। कोर्ट के रोक लगाने के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि वे आदेश को लागू करवाएंगे।

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