वाराणसी के मशहूर बिल्डर नूर आलम को मिली ज़मानत, एनबीडब्ल्यू में किया था चेतगंज पुलिस ने गिरफ़्तारी, पेश किया अदालत में तो मिल गई ज़मानत

तारिक आज़मी

वाराणसी: वाराणसी के बेनियाबाग़ स्थित नावेद काम्प्लेक्स निवासी मशहूर बिल्डर नूर आलम को कल बृहस्पतिवार के दिन अदालत में पुलिस द्वारा पेश करते हुवे ही अदालत ने मुचलके पर रिहा करने का हुक्म जारी कर दिया और नूर आलम रिहा हो गए। ज़मानत पर बहस करने के लिए मशहूर अधिवक्ता महेंद्र पाण्डेय और जेठा ने अदालत में पक्ष रखा।

बताते चले कि विगत कई माह पूर्व नूर आलम द्वारा निर्मित एक भवन में हुई दुर्घटना में एक बच्चे की मौत हो गई थी। जिसमे पुलिस द्वारा चेतगंज थाने पर वादी की तहरीर के आधार पर आईपीसी 288 और 304A के तहत मुकदमा दर्ज किया था। इस केस में नूर आलम को ज़मानत मिल चुकी थी। इसी दरमियान दौरान-ए-तफ्तीश विवेचक सुफियान खान ने साक्ष्यो को आधार बना कर धारा तरमीम करके 304A को 304 कर दिया और 23 अगस्त को इस मामले में अदालत से NBW जारी करवा लिया।

जिसके उपरांत बुद्धवार को एक हाईटेक तरीके से पानदरीबा चौकी इंचार्ज सुफियान खान ने दल बल के साथ छापेमारी किया और नूर आलम को गिरफ्तार कर लिया। बिल्डर नूर आलम के परिजनों को इस मामले में आश्वस्त नही करवाया गया कि NBW इस कारण से हुआ है, जिसके वजह से नूर आलम के भाई और भांजे ने पुलिस से गिरफ़्तारी का विरोध किया। जिसके फलस्वरूप नूर आलम के एक भाई और उनके भांजे को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया, जिनका कल बृहस्पतिवार को शांति भंग में चालान कर दिया गया।

बुद्धवार को तमाम वकीलों की मौजूदगी में दिन भर चले बातचीत के दौर के बाद कल बृहस्पतिवार को पुलिस ने नूर आलम को उपरोक्त NBW में अदालत में पेश किया। अदालत में पेशी के बाद अधिवक्ताओं ने गिरफ़्तारी को अवैध बताते हुवे अदालत में इस सम्बन्ध में हाई कोर्ट की रूलिग़ पेश किया। जिसके आधार पर अदालत ने नूर आलम को निजी मुचलके पर रिहा करने का हुक्म जारी किया और नूर आलम की रिहाई हुई।

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