बदलापुर एनकाउंटर केस: बोम्बे हाई कोर्ट ने तीखे सवालात पुलिस से पूछते हुवे कहा ‘सर मे गोली कैसे लगी, 4 पुलिसकर्मी एक व्यक्ति को नियंत्रित नही कर पाए?’
शफी उस्मानी
डेस्क: बदलापुर रेप केस में आरोपी अक्षय शिंदे के कथित एनकाउंटर में पुलिस फंसती हुई दिखाई दे रही है। इस एनकाउंटर के खिलाफ मृतक आरोपी के पिता द्वारा बाम्बे हाई कोर्ट में दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुवे आज अदालत ने कई गंभीर सवाल उठाए हैं। अदालत के मुताबिक इस कथित एनकाउंटर में कुछ गड़बडियां नजर आ रही हैं। हाई कोर्ट ने सवाल पूछा कि आरोपी के सिर पर गोली कैसे लगी?
दरअसल, आरोपी अक्षय के पिता ने इस एनकाउंटर के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है। पिता ने आरोप लगाया कि बदलापुर मामले में सबूत मिटाने के लिए उनके बेटे की हत्या कर दी गई। इसी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कई सवाल उठाए। दरअसल, पूरा मामला 12 और 13 अगस्त का है। ठाणे के बदलापुर स्थित आदर्श विद्यालय के शिशु वर्ग में पढ़ने वाली 3 वर्षीय दो बच्चियां के साथ स्कूल में ही काम करने वाले सफाई कर्मचारी ने कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया।
इस मामले में 16 अगस्त को जब बच्चियों के पेरेंट्स एफआईआर दर्ज कराने पुलिस स्टेशन पहुंचे, तब पुलिस मामला दर्ज करने में आनाकानी करती रही। आरोप है कि 12 घंटे बीतने के बाद भी पुलिस ने कोई एफआईआर दर्ज नहीं की। फिर कुछ स्थानीय नेता पुलिस स्टेशन पहुंचे। जिसके बाद ऍफ़आईआर दर्ज हुई। आरोपी पर पॉक्सो एक्ट भी लगाया गया। जिसके बाद 17 अगस्त को आरोपी अक्षय शिंदे को गिरफ्तार किया गया।
जिसके बाद मीडिया रिपोर्टस के अनुसार पुलिस जब 23 सितंबर को उसे जांच के लिए तलोजा जेल से बदलापुर ले जा रही थी, तब कथित तौर पर अक्षय शिंदे ने पुलिस की पिस्टल छीनकर पुलिस टीम पर फायरिंग कर दी थी। आरोपी ने पुलिस टीम पर कई राउंड फायरिंग की थी, जिसमें एक पुलिस अधिकारी भी घायल हुए थे। जवाबी फायरिंग में अक्षय शिंदे के घायल होने की खबर आई। फायरिंग के बाद आरोपी को गंभीर हालत में हॉस्पिटल ले जाया गया था। जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, हाई कोर्ट ने कहा कि इसे एनकाउंटर नहीं कहा जा सकता है। यह एनकाउंटर नहीं है। हाई कोर्ट ने सवाल किया कि आरोपी के सिर पर गोली कैसे लगी, जबकि पुलिस को इसकी ट्रेनिंग दी जाती है कि गोली कहां चलानी है। कोर्ट ने कहा कि पुलिस को हाथ या पैर पर गोली चलानी चाहिए थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, ‘आरोपी के आगे दो पुलिस वाले और बगल में दो पुलिस वाले थे। फिर ये कैसे संभव है कि वो एक कमजोर आदमी को काबू नहीं कर पाएं, वो भी गाड़ी के पिछले हिस्से में?’