वाराणसी: चौक पुलिस की आँखों के सामने खुद को अधिवक्ता बताने वालो ने बुज़ुर्ग की किया पिटाई, मूकदर्शक पुलिस करती रही बीच बचाव, वीडियो हुवा वायरल

शफी उस्मानी

वाराणसी: एक तरफ तो उत्तर प्रदेश मै अधिवक्ता समाज के द्वारा लायर्स प्रोटेक्शन एक्ट कि मांग जोरो शोरो से जारी है वही दूसरी तरफ काली कोट पहने हुए कुछ युवाओ कि भीड़ सड़को पर जिस हिसाब से इन्साफ आपने हाथों से करने को बेताब दिखाई दे रही है। यह एक गंभीर मुद्दा है। ऐसा ही एक मामला आज चौक थाना क्षेत्र के सराय हड़हा का सामने आया जहा एक किरायदार और मकान मालिक के विवाद में कथित अधिवक्ताओं के द्वारा पुरे इलाके को बम्पर गालिया मुफ्त में मिली। ये ऑफर सिर्फ यही तक सीमित नही रहा, जो खुद को बड़ा व्यापारी नेता बताते हुवे आया वह बड़ी गाली खाया, जो खुद को सहपाठी बता कर आया वह भी बम्पर खाया।

घटना के सम्बन्ध में मिली जानकारी के अनुसार सराय हड़हा स्ठित एक दूकान का विवाद उस दूकान के किरायदार हाजी आरिफ से चल रहा है। हाजी आरिफ का दावा है कि वह १० साल से इस दूकान का किरायदार है। आज सराय हड़हा निवासी मो० अल्ताफ अपने साथ काली कोट धारी कुछ युवको के साथ दूकान पर आकर दूकान बंद कर अन्दर तोड़फोड़ किया और साथ ही हाजी आरिफ को बुरी तरह मार पीट कर घायल कर दिया. समाचार लिखे जाने तक हाजी आरिफ मंडलीय चिकित्सालय में भर्ती है।

मामला यही तक सीमित नही रहा, दूकान के अन्दर घुस कर दूकान अन्दर से बंद कर दुकानदार की पिटाई का मामला पुरे मार्किट में जंगल की आग के तरह फ़ैल गया। जिसके बाद स्थानीय दुकानदारों की भीड़ मौके पर इकठ्ठा हो गई तभी किसी ने इसकी सुचना पुलिस को प्रदान कर दिया। सुचना पर पहुची पुलिस दोनों पक्षों को लेकर पियरी चौकी आई, वही घायल हाजी आरिफ को इलाज हेतु लोग मंडलीय चिकित्सालय लेकर चले गए। पियरी चौकी पर क्षेत्र के नागरिको ने जब विरोध किया तो फिर क्या था ? काली कोट पहने युवाओं ने जमकर सबकी माँ बहन की सेवा में शब्दों को प्रदान किया।

प्रत्यक्षदर्शियो के अनुसार और वायरल वीडियो के मुताबिक जो खुद को जितना बड़ा ओहदा लेकर आता उतनी बड़ी गाली से नवाज़ा जाता। जो खुद को बड़ा व्यापारी नेता बनकर आया जमकर गाली खाया और जमकर कचहरी आने पर बीच से फाड़ दिए जाने की धमकी सुनकर गया। एक खुद को व्यापारी नेता बनकर आये सज्जन को तो यहाँ तक कहा गया कि कचहरी आ गए तो बीच से फाड़ देंगे। इस भीड़ के साथ मौजूद दो महिलाओं के सम्बन्ध में प्रत्यक्षदर्शियो ने बताया कि उन्होंने जमकर वह सब शब्दों का इस्तेमाल किया, जिसको सुनकर लोग खुद शर्मिंदा हो गए। बताया जा रहा है कि एक ने तो यहाँ तक कह दिया कि दालमंडी नईसड़क वालो का मन बहुत बढ़ गया है, ठीक करना पड़ेगा।

हद तो तब ख़त्म हो गई जब स्थानीय एक बुज़ुर्ग ने मौके पर इस अभद्रता जा विरोध किया तो पुलिस की मौजूदगी में ही खुद को अधिवक्ता बताने वालो ने जमकर बुज़ुर्ग को पीट दिया। ऐसा लगा जैसे पुलिस इन युवाओं के सामने बेबस नज़र आ रही हो। शायद पुलिस को भी इस भीड़ से दहशत थी कि कही ऐसा न हो कि कचहरी जाने पर बीच से फाड़ न दिए जाए। वैसे खुद को अधिवक्ता बताने वाली भीड़ का चौक पर यह पहला मामला नही है. ऐसे ही मो० अल्ताफ के द्वारा जमकर विगत दिनों अपने इन्ही साथियों के साथ कच्ची सराय में बवाल काटा गया था। कुछ दिन पूर्व इसी पुलिस चौकी पर दालमंडी निवासी एक अधिवक्ता का पडोसी दूध के दुकानदार से मामूली विवाद होने पर जमकर बवाल काटा गया था और इस धक्का मुक्की में सुना जाता है कि दरोगा जी के खुद की वर्दी का बटन तक टूट गया था।

अब एक बड़ा सवाल है कि आखिर इन्साफ की पैरवी करने वाले समूह के द्वारा इंसाफ को खुद के हाथो से करने की यह बेताबी कब तक चलेगी। क्या बार काउन्सिल ऐसे लोगो को भी चिन्हित करेगी जो कलम के बजाये बाज़ुओ की जंग लड़ते है। जो काम अदालत का है उसको खुद के हाथो से कर डालने को बेताब रहते है। सवाल गंभीर है,मगर जवाब तलाशना भी बार एसोसिएशन का काम है।

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