सऊदी और जार्डन के इस रवय्ये के बाद अब बढ़ सकती है इसराइल की मुश्किलें, सऊदी ने रखा ऐसी शर्त की नेतान्याहू के पेशानी पर पड़ रहा परेशानी का बल
माही अंसारी
डेस्क: अभी तक सऊदी और जार्डन से मिल रहा इसराइल को समर्थन ख़त्म होता हुआ दिखाई दे रहा है। जब ईरान ने इजरायल पर मिसाइल हमले किए तो जॉर्डन इकलौता देश था जिसने खुलकर इजरायल की मदद की बात कबूल की थी। जॉर्डल का ये कदम ईरान से दुश्मनी मोल लेने जैसा था। साथ ही सऊदी ने भी ईरान के इस कदम की आलोचना किया था। जार्डन और सऊदी इसराइल के पाले में खड़े दिखाई दे रहे थे। मगर अब शायद स्थिति बदल गई है और इसराइल मिडिल ईस्ट में लगभग अलग थलग पड़ता दिखाई दे रहा है।
इससे पहले जार्डन शांत रहकर इसराइल की मदद करता था। इजरायल की मदद करने में जॉर्डन अकेला नहीं था। इसमें सऊदी अरब और यूएई भी शामिल था। इन देशों ने ईरान के बारे में की खुफिया जानकारियां इजरायल तक पहुंचाई। जो ईरान के हमलों को नाकाम करने में मददगार साबित हुई और फिर सऊदी अरब ने अपना रुख साफ किया था और कहा था कि वो ईरान के हमले के खिलाफ है और इजरायल के साथ है।
लेकिन कहानी अब पलट गई है दरअसल,,एक साल पहले सऊदी अरब इजरायल को मान्यता देने की तैयारी कर रहा था। जिससे मिडल ईस्ट की स्थिति में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद थी, और माना जा रहा था इससे ईरान की मदद करने वाले संगठन अलग-थलग हो जाएंगे। लेकिन अब कहा जा रहा है कि अगर सऊदी अरब इजरायल के साथ समझौता करता है, तो फिलिस्तीन का मुद्दा पीछे छूट जाएगा।
लेकिन इजरायल-हमास संघर्ष और हमास नेता याह्या सिनवार की हत्या के बाद ये समझौता ठंडा पड़ गया है। अब सऊदी अरब अपने कट्टर दुश्मन ईरान के साथ संबंध बेहतर करता नज़र आ रहा है। सऊदी अरब का ये कहना है कि जब तक इजरायल फिलिस्तीन के राज्य को मान्यता नहीं देता, तब तक उसके साथ कोई डिप्लोमेटिक समझौता नहीं होगा। और ये बदलाव इस वक्त काफ़ी अहम माना जा रहा है। वहीं इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू फिलिस्तीनी राज्य की बात को नकारते हैं, जबकि सऊदी अधिकारी टू स्टेट सॉल्यूशन की बात कर रहे हैं। सऊदी अरब का कहना है कि फिलिस्तीन के लिए एक अलग राज्य ही इजरायल के साथ संबंध सामान्य करने का एकमात्र तरीका है। गजा में युद्ध शुरू होने के बाद इजरायल ने वहां मदद रोक दी। इस युद्ध में हजारों लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे।
इस वजह से सऊदी अरब के लिए फिलिस्तीनी राज्य का मुद्दा नजरअंदाज करना मुश्किल हो गया। सऊदी अरब के बिजनेसमैन औऱ क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के प्रोजेक्ट नियोम के सलाहकार अली शिहाबी कहते हैं कि, ‘गाजा में हो रही घटनाओं ने इजरायल के साथ समझौतों को असर पहुंचाया है। सऊदी अरब देख रहा है कि गाजा की हालत ऐसी है कि इजरायल के साथ संबंध बनाना ठीक नहीं है। कहा कि जब तक इजरायल अपना रुख नहीं बदलता और फिलिस्तीनी राज्य का सम्मान नहीं करता, सऊदी अरब इजरायल के साथ संबंध नहीं बनाएगा।‘
सऊदी अरब का कहना है कि जब तक ईरान सऊदी की तरफ अपनी दोस्ती का हाथ बढ़ाता रहेगा, तब तक सऊदी अरब इस दोस्ती को स्वीकारता रहेगा।अगर ईरान इस मामले में सिरियस है तो जल्द ही आने वाले वक्त में मिडल ईस्ट का पुनर्गठन होगा। हाल ही में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अपने भाषण में फिलिस्तीनी राज्य की वकालत भी की थी। उन्होंने यही दोहराया कि जब तक स्वतंत्र फिलिस्तीन की स्थापना नहीं होगी तब तक साऊदी अरब इजरायल के साथ कोई भी डिप्लोमेटिक संबंध नहीं बनाएगा।