शारदीय नवरात्र के 9वे दिन हुआ माता सिद्धिदात्री का दर्शन पूजन

अनुपम राज

वाराणसी: शारदीय नवरात्रि के नौवें दिन देवी सिद्धिदात्री की दर्शन पूजन की मान्यता है। वाराणसी में गोलघर स्थित पराड़कर भवन के पीछे सिद्धमाता गली में देवी सिद्धिदात्री का मंदिर है। माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। यह सभी प्रकार के सिद्धियों को देने वाली देवी हैं। भोर से ही देवी कालरात्रि के मंदिरों में दर्शन पूजन करने श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है।

मां को भोर में पंचामृत स्नान के बाद अड़हुल, और गुलाब के फूलों से भव्य शृंगार किया गया। मंगला आरती के बाद माता के मंदिर का पट भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिया गया। श्रद्धालुओं ने नारियल और चुनरी का प्रसाद चढ़ाकर माता से सौभाग्य की कामना की। पुलिस प्रशासन भी मुस्तैद रही। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने भी इन्ही की कृपा से सिद्धियां प्राप्त की थीं और वे अर्ध्दनारीश्वर के रुप में स्थापित हुए थें। माता सिद्धिरात्री चतुर्भुज और सिंहवाहिनी हैं।

मंदिर के पूजारी बच्चा लाल मिश्र ने बताया कि नवरात्र के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री के दर्शन की जाती है। मां सिद्धि संपूर्णता का प्रतीक हैं, इसलिए सिद्धियां प्राप्त होने पर सभी मनोकामनाएं बिना विघ्न-बाधा के पूरी होती है। देवी सिद्धरात्रि मां सरस्वती का भी स्वरुप हैं, जो श्वेत वस्त्रालंकरा से युक्त महाज्ञान और मधुर स्वर से अपने भक्तों को सम्मोहित करती हैं। सिद्ध माता मंदिर परिसर में पहुंचरा अम्बा और पंचमुखी महादेव का विग्रह भी है।

सिद्धमाता मंदिर का उल्लेख सिर्फ काशी खंड में मिलता है और अन्य जगहों पर इसलिए नहीं मिलता क्योंकि यह मंदिर अति प्राचिन है। इनके दर्शन मात्र से परेशान लोगों की परेशानी की खात्मा और मनोकामना की पूर्ति हो जाती है और यह सभी तरह की सिद्धियों को भी देने वाली हैं।

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