हाई कोर्ट से स्टे के बावजूद बाहुबली पेट्रोल पम्प संचालक कर रहा ढाबा संचालक के ज़मीन पर ज़बरदस्ती कब्ज़ा ? और फतेहपुर प्रशासन बना मूक दर्शक

रेहान सिद्दीकी

फतेहपुर: अगर सामर्थ आपके पास है तो आप कुछ भी अन्याय करते रहे प्रशासन आपके हर गलत पर आँख बंद कर लेगा। आप अपने कारोबार को बढाने के लिए दुसरे की संपत्ति पर कब्ज़ा कर ले, हाई कोर्ट के स्टे को ताख पर रख कर प्रशासन आपके ऊँची पकड़ के आगे शांत बैठेगा। यह कोई कहने सुनने की बात नही बल्कि इसका जीता जागता उदाहरण फतेहपुर जनपद के खागा तहसील स्थित कटोघन में देखने को मिल रहा है।

ग्राम कटोघन के टोल नाके के पास गाटा संख्या 1367 है। इस गाटे पर दो लोंगो का मालिकाना हक़ है। इसमें एक पक्ष देसी ढाबा संचालक नजरुल इस्लाम है और दूसरा पक्ष अनिल सिंह है जिनका पास ही पेट्रोल पम्प है। इसके अतिरिक्त एक अन्य पक्ष द्वारा इसी गाटे में अपनी संपत्ति होने का दावा करते हुवे हाई कोर्ट से स्टे ले रखा है और मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है। दोनों में से कोई भी पक्ष इस पर कोई नया निर्माण नही कर सकता है।

कहा जाता है कि इस दरमियान पेट्रोल पम्प सचालक अनिल सिंह ने शासन सत्ता का दबाव बनाकर पेट्रोल पम्प हेतु सड़क निर्माण की बात कही। नजरुल इस्लाम का कहना है कि मौके पर जिलाधिकारी ने स्वयं स्थल निरिक्षण कर 2 मीटर तक चौड़ी रोड निर्माण करवा सकने की बात अनिल सिंह से कहा, इस पर किसी पक्ष को कोई एतराज़ इस वजह से नही था क्योकि 2 मीटर उक्त संपत्ति एनएचआई के अधीन आती। नजरुल इस्लाम का आरोप है कि अनिल सिंह ने कल रात से ही अतिरिक्त 25 फिट चौड़ी संपत्ति हमारी कब्ज़ा करते हुवे सड़क निर्माण चालु कर दिया है। मना करने पर अमादा मारपीट हो जा रहे है।

नजरुल इस्लाम ने बताया कि इस सम्बन्ध में जब एसडीएम साहब से बात की गई तो उन्होंने मामला जिलाधिकारी का होने की बात कही वही जिलाधिकारी अवकाश पर है तो उनसे बात ही नही हो पाई है। नजरुल इस्लाम का आरोप है कि शासन सत्ता का दबाव बनाकर अनिल सिंह द्वारा हमारी करोडो की संपत्ति अवैध रूप से खुल्लम खुल्ला कब्ज़ा किया जा रहा है और उस पर अपने पेट्रोल पम्प की सड़क का निर्माण किया जा रहा है। वही खागा कोतवाल का इस सम्बन्ध में कहना है कि संपत्ति विवाद है, सम्बंधित अधिकारी ही निर्णय ले सकते है। हमने जब जिलाधिकारी से बात करने का प्रयास किया तो जिलाधिकारी आज छुट्टी पर है यह जानकारी निकल कर सामने आई है। ऐसे में प्रतीत होता है कि शासन सत्ता में अपनी पकड़ दिखा कर अनिल सिंह अपनी मनमानी करने के लिए खुली छुट ले रखे है।

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