मुफ़्ती सलमान अजहरी की रिहाई का हुक्म देते हुवे सुप्रीम कोर्ट ने कहा ‘ऐसा कुछ भी नहीं है, जो यह सुझाव दे कि भाषण किसी भी तरह से सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित कर रहे हैं’

ईदुल अमीन

डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरु और आलिम मौलाना मुफ़्ती सलमान अज़हरी को रिहा करने का निर्देश दिया, जिन्हें गुजरात असामाजिक गतिविधि रोकथाम अधिनियम, 1985 के तहत कथित घृणास्पद भाषण के लिए हिरासत में लिया गया। गुजरात हाईकोर्ट के समक्ष हिरासत को चुनौती देने वाली उनकी याचिका खारिज होने के बाद अज़हरी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

हाईकोर्ट ने हिरासत प्राधिकरण के आदेश को वैध ठहराया था और कहा कि अज़हरी द्वारा दिए गए सार्वजनिक भाषण और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर प्रसारित किए गए भाषण धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त थे और सद्भाव और राष्ट्रीय एकता के रखरखाव के लिए हानिकारक थे। 22 फरवरी, 2024 को हिरासत आदेश निष्पादित किया गया और अजहरी को वडोदरा सेंट्रल जेल में हिरासत में लिया गया।

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपीलकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले सीनियर एडवोकेट हुजेफा ए0 अहमदी ने तर्क दिया कि हिरासत प्राधिकरण के पास व्यक्तिपरक संतुष्टि बनाने के लिए पर्याप्त सामग्री का अभाव था कि कथित गतिविधियों, जैसा कि आपराधिक अपराधों में उल्लिखित है, उन्होंने असुरक्षा, घृणा और शत्रुता की भावना पैदा की, जिससे व्यापक समाज के बीच सार्वजनिक शांति, सामाजिक सद्भाव और सार्वजनिक व्यवस्था का रखरखाव बाधित हुआ।

अदालत ने कहा की ‘रिकॉर्ड में मौजूद सामग्री को देखने के बाद हम पाते हैं कि हिरासत का आदेश बरकरार नहीं रखा जा सकता, क्योंकि ऐसा कुछ भी नहीं है, जो यह सुझाव दे कि अपीलकर्ता द्वारा दिए गए भाषण किसी भी तरह से सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित कर रहे हैं।‘ तदनुसार, अदालत ने अपील स्वीकार की और अजहरी को रिहा करने का निर्देश दिया।

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