पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी की ज़मानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा ईडी की दोष सिद्धि दर ख़राब, कब तक हिरासत में रखेगे आरोपी को?’

आफताब फारुकी

डेस्क: मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (26 नवंबर) को बिना सुनवाई के आरोपी को लंबे समय तक हिरासत में रखने पर चिंता जताई। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की पीठ चटर्जी द्वारा पश्चिम बंगाल में सहायक प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में रिश्वतखोरी के आरोपों से उत्पन्न मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

सुनवाई के दौरान पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा चलाए गए मामलों में कम सजा दरों पर भी सवाल उठाए। हालांकि पीठ ने जमानत देने की इच्छा जताई, लेकिन अंततः सीबीआई से जुड़े मामलों में चटर्जी द्वारा हिरासत में लिए गए मामलों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए सुनवाई सोमवार (2 दिसंबर) तक के लिए स्थगित कर दी गई। चटर्जी की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा कि 23 जुलाई, 2022 को गिरफ्तारी के बाद से वह 2.5 साल से अधिक समय से हिरासत में है। इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि याचिकाकर्ता की आयु 73 वर्ष है, रोहतगी ने कहा कि 183 गवाहों और चार पूरक अभियोजन शिकायतों को देखते हुए, जल्दी सुनवाई पूरी होने की कोई संभावना नहीं है।

रोहतगी ने कहा कि याचिकाकर्ता पहले ही धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत अधिकतम सजा का एक तिहाई से अधिक हिस्सा काट चुका है, जो कि 7 साल की कैद है। उन्होंने बीएनएसएस 2023 की धारा 479 (जो अधिकतम सजा का एक तिहाई हिस्सा काटने के बाद विचाराधीन कैदियों को जमानत प्रदान करती है) और नजीब मामले में दिए गए फैसले (जिसमें कहा गया था कि लंबे समय तक कारावास में रहने पर जमानत दी जा सकती है) पर भरोसा जताया। रोहतगी ने कहा, “हर दूसरे व्यक्ति को जमानत दी गई…जिस महिला के घर से पैसे बरामद हुए और जिसने याचिकाकर्ता का नाम लिया, उसे 2 दिन पहले जमानत दी गई…उससे कोई बरामदगी नहीं हुई।”

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