अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से एएमयु के छात्रो और मुस्लिम संगठनों ने किया ख़ुशी ज़ाहिर, बोले ज्ञानवापी मस्जिद के एसएम यासीन ‘समाज दुशमन संगठनों, सरकारी मुसलमानों की हार हुई’, बोली वीसी ‘कानूनी सलाहकारों से करेगे मशविरा’, पढ़े लोंगो की प्रतिक्रिया
ईदुल अमीन
डेस्क: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर अब वहां के छात्रों की प्रतिक्रिया भी सामने आ रही है। तमाम मुस्लिम संगठन और एएमयु के छात्रो ने इस फैसले का स्वागत करते हुवे ख़ुशी ज़ाहिर किया है, साथ ही विश्वविध्यालय की वीसी ने फैसले पर कानूनी सलाहकारों से समीक्षा की बात कही है। शिया वक्फ बोर्ड से लेकर ज्ञानवापी मस्जिद की देख रेख करने वाली संस्था अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने फैसले का स्वागत किया है।
विश्वविद्यालय के एक छात्र ने फ़ैसले पर खुशी ज़ाहिर करते हुए समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, ‘यह एक अल्पसंख्यक संस्थान है और हम इस फ़ैसले का स्वागत करते हैं। लेकिन इन्होंने ऐसा कह दिया कि यूनिवर्सिटी ही इसे साबित करे। रही बात साबित करने की तो आप इसके इतिहास में जाइये। इसकी इमारत को देखिए। ये यही कह रही है कि एएमयू एक अल्पसंख्यक संस्थान है। हम वक़्त के साथ इसे साबित भी कर देंगे। हमें सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से इंसाफ़ की उम्मीद थी। हम सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का स्वागत करते हैं।’ एक और छात्र ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर कहा, ‘हमारे लिए यह ऐतिहासक पल था। हमें इसका बहुत दिन से इंतज़ार है। सुप्रीम कोर्ट ने जो फ़ैसला दिया है हम उसका स्वागत करते हैं। यूनिवर्सिटी की हर एक ईंट यह बताती है कि यह एक अल्पसंख्यक संस्थान है।’
फ़ैसले पर ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने जाहिर किया ख़ुशी
आल इंडिया शिया पर्सनल ला बोर्ड ने फ़ैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘यह बहुत अच्छा फ़ैसला है। मैं इस फ़ैसले का स्वागत करता हूं। इसलिए कि जो तीन जजों की बेंच है, ऐसी उम्मीद है कि वह हक़ में फ़ैसला देगी।’ शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता ने कहा, ‘अल्पसंख्यक दर्जे की अपनी अहमियत और ताकत होती है क्योंकि उसमें किसी की दख़लअंदाज़ी नहीं होती है। जहां तक तीन जजों की बेंच का सवाल है तो मेरे हिसाब से वह बहुत अच्छा फ़ैसला लेगी और वे भी अल्पसंख्यक दर्जे को बरकरार रखने का फ़ैसला ही करेगी।’
एएमयू से जुड़े विवादों को लेकर यासूब अब्बास ने कहा, ‘एएमयू को लेकर इसलिए विवाद रहता है क्योंकि वह अच्छी शिक्षा दे रहा है। पूरे देश को एएमयू से बेहतरीन लोग मिले हैं। इसी वजह से कुछ लोग एएमयू को शक की निगाह से देखते हैं। अगर एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा मिला रहता है तो यह बहुत अच्छी बात है।’
बोली एएमयु की वीसी ‘हमारी लीगल टीम करेगी फैसले का अध्यन’
सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर नईमा ख़ातून ने कहा, ‘हम फ़ैसले का सम्मान करते हैं। हम इंतज़ार करेंगे और अपने एक्सपर्ट्स से बात करेंगे कि आगे क्या किया जाए। हमारे पास क़ानूनी सलाहकारों की टीम है हम उनसे भी विचार-विमर्श करेंगे। जो फ़ैसला आप लोगों ने सुना है वही फ़ैसला हमने भी सुना है। मेरे पास इस पर कुछ कहने को नहीं है और इसीलिए मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगी।’
विश्वविद्यालय के पीआरओ उमर सलीम पीरज़ादा ने कहा, ‘अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करती है। इस फ़ैसले के सभी बिंदुओं पर हमारी प्रशासनिक टीम के समीक्षा पूरी करने के बाद ही हम मीडिया के सभी प्रश्नों का विस्तार से उत्तर देने की स्थिति में होंगे। फ़िलहाल हम एएमयू कि आकादमिक, राष्ट्र निर्माण और समावेशिता की विरासत को बनाए रखने की प्रतिबद्धता को जारी रखेंगे।’
बोले ज्ञानवापी मस्जिद के एसएम यासीन ‘समाज दुशमन संगठनों, सरकारी मुसलमानों की हार हुई’
ज्ञानवापी मस्जिद की देख रेख करने वाली संस्था अंजुमन इन्तेज़मियां मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने कहा कि ‘आज माननीय सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने हमारी सर्वोच्च और प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रखा है। सात जजों की संविधान पीठ के चार जजों ने बहुमत से यह ऐतिहासिक फैसला दिया है। समाज दुशमन संगठनों, सरकारी मुसलमानों की हार हुई है। तमाम बिरदराने इसलाम के साथ इस मुल्क के तमाम सेक्युलर ज़ेहन रखने वालों की बहुत बड़ी जीत है।सबको तहे दिल से मुबारकबाद पेश है।‘