उत्तर काशी में ‘काशी विश्वनाथ मंदिर’ के पास दशको पुरानी मस्जिद को गिराने की मांग कर रहे हिंदूवादी संगठनो ने दबाव बनाने के लिए आयोजित किया ‘महापंचायत’, सरकार ने कहा ‘महापंचायत की अनुमति नही’

संजय ठाकुर

डेस्क: उत्तरकाशी में दशकों पुरानी मस्जिद को लेकर बढ़ते तनाव के बीच उत्तराखंड सरकार ने कहा है कि उसने 1 दिसंबर को हिंदू संगठनों द्वारा आयोजित महापंचायत की अनुमति नहीं दी है, जिसमें वे मस्जिद को गिराने की मांग को लेकर दबाव बनाना चाहते हैं। यह बात बुद्धवार को अपने स्पष्टीकरण में सरकार के द्वारा हाई कोर्ट को बताया गया है।

इस बीच राज्य सरकार ने एसपी अमित श्रीवास्तव का उनकी नियुक्ति के तीन महीने के भीतर ही तबादला कर दिया गया है। यह तबादला उस घटना के ठीक एक महीने बाद हुआ है, जिसमे उनके नेतृत्व में उत्तरकाशी पुलिस ने भीड़ को अपने पूर्व-स्वीकृत विरोध मार्ग से हटकर मस्जिद की ओर बढ़ने से रोका था, जिसके कारण इलाके में पथराव और तोड़फोड़ हुई थी।

यह विवाद सितंबर में शुरू हुआ, जब संयुक्त सनातन धर्म रक्षा संघ और विश्व हिंदू परिषद से जुड़े होने का दावा करने वाले कुछ लोगों ने कथित तौर पर मस्जिद को ध्वस्त करने की धमकी दी। इस धमकी के बाद शहर में तनाव पैदा हो गया था, जो अंततः पथराव और तोड़फोड़ में परिणत हुआ, जिसके कारण 24 अक्टूबर को कानून प्रवर्तन अधिकारियों सहित कई लोग घायल हो गए।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना मस्जिद को लेकर बढ़ते तनाव के बीच हुई है, जहां संयुक्त सनातन धर्म रक्षा संघ और विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठन इस बात पर जोर दे रहे हैं कि वे नियोजित कार्यक्रम के साथ आगे बढ़ेंगे। बुधवार को हाईकोर्ट के समक्ष अपने स्पष्टीकरण में राज्य की भाजपा सरकार ने कहा कि मस्जिद को पर्याप्त सुरक्षा दी गई है। यह टिप्पणी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान की गई। इससे कुछ दिन पहले अदालत ने आदेश दिया था कि मस्जिद को संरक्षित किया जाए तथा अधिकारियों को हेट स्पीच के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।

ज्ञात हो कि अल्पसंख्यक सेवा समिति के अध्यक्ष मुशर्रफ अली और इश्तियाक़ अहमद ने अपनी याचिका में कथित मुस्लिम विरोधी भाषणों पर चिंता जताई और भटवारी रोड स्थित जामा मस्जिद सहित अल्पसंख्यक संपत्तियों के लिए राज्य से सुरक्षा की मांग की है। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि मस्जिद वक्फ बोर्ड के अंतर्गत आती है और उनके पास इसे साबित करने के लिए सबूत- 1969 का एक कथित बिक्री (सेल) डीड और 1987 का एक राजपत्र अधिसूचना है।

याचिकाकर्ताओं के वकील कार्तिकेय हरि गुप्ता ने कहा, ‘राज्य ने अदालत को आश्वासन दिया है कि धार्मिक ढांचे को चौबीसों घंटे निगरानी के साथ पर्याप्त सुरक्षा दी जा रही है। अदालत ने दोहराया कि कानून से चलने वाले देश में ध्वंस की धमकियां और अभद्र भाषा अस्वीकार्य हैं।’ उत्तरकाशी एसपी अमित श्रीवास्तव ने पुष्टि की कि कुछ संगठनों को अभी तक रैली आयोजित करने की अनुमति नहीं दी गई है। उन्होंने कहा, ‘कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए मस्जिद के आसपास पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है।’

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