एनजीटी रिपोर्ट में दावा ‘यूपी में कावड यात्रा के लिए 17 हज़ार 600 पेड़ काटे गए, एनजीटी ने प्रदेश सरकार से पूछा ‘काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1976 के प्रावधानों के अनुसार है या नहीं’

तारिक खान

डेस्क: अख़बार की एक खबर जिसमे इस बात का दावा किया गया था कि कावड यात्रा के लिए लगभग 1,12,722 पेड़ काटने की योजना बना रही है का स्वतः संज्ञान लेते हुवे एनजीटी द्वारा गठित 4 सदस्यों की समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का दावा किया है कि कावड यात्रा के दरमियान 17 हज़ार 600 पेड़ की कटाई उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा किया गया है। पैनल ने ट्रिब्यूनल को बताया है कि कांवड़ यात्रा के लिए नया मार्ग बनाने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर जिलों में करीब 17,600 पेड़ काटे गए हैं।

पैनल ने यह भी बताया कि राज्य सरकार ने इस परियोजना के लिए कुल 33776 पेड़ काटने की योजना बनाई है। एनजीटी ने साल 2024 की शुरुआत में एक अखबार की रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया था, जिसमें कहा गया था कि उत्तर प्रदेश सरकार इस परियोजना के लिए लगभग 1,12,722 पेड़ काटने की योजना बना रही है। बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित 111 किलोमीटर लंबी सड़क उत्तराखंड के नज़दीक मुरादनगर से पुरकाजी तक ऊपरी गंगा नहर की दाहिनी शाखा के साथ बनाई जाएगी।

प्रस्तावित कावड मार्ग गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर से होकर गुजरेगा। इसके लिए 222।98 हेक्टेयर संरक्षित वन भूमि के डायवर्जन की आवश्यकता होगी और तकरीबन 1,12,722 पेड़ों को काटे जाने की बात कही गई थी। द हिन्दू के अनुसार, इस साल अगस्त के महीने में एनजीटी ने संयुक्त पैनल का गठन किया था, जो पेड़ की कथित कटाई से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहा था। एनजीटी के मुताबिक, 6 नवंबर को चार सदस्यीय पैनल ने अंतरिम रिपोर्ट पेश की है, जिसमे कहा गया है कि सिंचाई विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 9 अगस्त, 2024 तक तीनों जिलों में 17,607 पेड़ काटे गए हैं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि शुरुआत में 1,12,722 पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई थी, लेकिन अब केवल 33,776 पेड़ों को काटने का निर्णय लिया गया है। एनजीटी ने उत्तर प्रदेश सरकार को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया है कि काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या की गणना उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1976 के प्रावधानों के अनुसार की गई है या नहीं।

ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा है, ‘राज्य को यह भी स्पष्ट करना होगा कि क्या सड़क के निर्माण के लिए ऐसे पेड़, पौधे, झाड़ियां आदि, काटे जा रहे हैं जिन्हें 33,766 पेड़ों में नहीं गिना गया है, और वे इस अधिनियम के तहत पेड़ की परिभाषा में आते हैं। एनजीटी ने राज्य सरकार को पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव से हलफनामा दाखिल कराने का भी आदेश दिया है, जिसमें कांवर यात्रा मार्ग के निर्माण के दौरान काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या का सही विवरण दिया गया हो।

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