प्लेसेस ऑफ़ वोर्शिप एक्ट…? अजमेर स्थित ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को भगवान् श्री संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका को सिविल कोर्ट ने माना सुनवाई योग्य, जारी किया नोटिस
तारिक आज़मी
डेस्क: पहले ज्ञानवापी मस्जिद, फिर मथुरा शाही ईदगाह और इसके बाद संभल के जामा मस्जिद में सर्वे और उसको लेकर हुए बवाल के बीच राजस्थान के अजमेर शरीफ की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर कोर्ट का बड़ा फैसला सामने आया है। दरगाह में शिव मंदिर का दावा करते हुए एक याचिका दाखिल की गई थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रतीक इस दरगाह को मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका पर अदालत ने नोटिस जारी करने का फैसला दिया है।
बताते चले कि राजस्थान के अजमेर शरीफ में प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है। यह दरगाह लगभग 900 साल पुरानी है और लाखो आस्थावान यहाँ अपनी मुरादे लेकर आते है जो सभी धर्मो के होते है। सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती को ‘गरीब नवाज़’ का लकब भी मिला है। अब इस दरगाह को एक याचिका में हिंदू मंदिर बताकर सुनवाई के लिए आग्रह किया गया, जिसको अदालत ने स्वीकार कर लिया है।
हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने इससे संबंधित याचिका जिला अदालत में दाखिल की है जिस पर कोर्ट ने सुनवाई करने का निर्णय लिया है। यानी याचिका को स्वीकार कर लिया है। याचिका में यह कहा गया है कि अजमेर शरीफ दरगाह में भगवान श्री संकट मोचन महादेव विराजमान हैं। यह मंदिर है।ऐसा दावा किया गया है। अजमेर की सिविल कोर्ट ने विष्णु गुप्ता की याचिका को टेक अप किया और सुनवाई आगे करने का निर्णय लिया है। जज मनमोहन चंदेल ने इस संबंध में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अलावा दरगाह कमेटी और अन्य संबंधित पक्ष को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है।
याचिका में वादी ने कहा है कि अजमेर शरीफ दरगाह में दरअसल भगवान श्री संकट मोचन महादेव विराजमान है। इसलिए इसे मंदिर घोषित किया जाए और दरगाह कमेटी का इस पर अवैध कब्जा खत्म किया जाए। इस पर अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी। बता दें, हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से यह याचिका दाखिल की गई थी।