कानपुर: विसाती तकिया कब्रिस्तान बना हुआ है क्रिकेट का मैदान, सो रहे है ज़िम्मेदारान

मो0 कुमेल

कानपुर: साहेब कुछ समझ नही आता क्या हुआ इस पीढ़ी को जिसे सही और गलत में फर्क नज़र नही आता क्या कहूँ तालीम की कमी या तरबियत की? खबरे अपने बहुत पढ़ी होगी, हमने लिखी भी बहुत है। मगर आज जिस मुद्दे पर आपको रूबरू करवाने जा रहा हु, वह थोडा अलग है।

अमूमन तो मौत के बाद सुकून होता है। मगर कानपुर की एक कब्रिस्तान ऐसी भी है, जहाँ मरने के बाद भी सुकून नहीं है। ये सुकून छीन रहे है कब्रों के ऊपर क्रिकेट खेलते बच्चे और नवजवान। इस सबको देख कर फिर भी अनदेखा करते ज़िम्मेदारान इसके असली ज़िम्मेदार भी है।

हम बात कर रहे है विसाती तकिया कब्रिस्तान की। छोटा गेट जो चुन्नी गंज की तरफ से है, वह सुबह से लेकर शाम तक क्रिकेट का दौर चला करता है। किसी के कब्र पर स्टम्प गडा हुआ है तो किसी के कब्र पर खड़े होकर बैटिंग हो रही है। कई कब्रों से दौड़ते हुवे आकर गेंद फेकी जा रही है और कई कब्रों पर खड़े होकर फील्डिंग होती है।

अपने पारी का इंतज़ार करने वाले लड़के तो कब्र को ही अपनी सीट बना कर बैठे रहते है। स्थानीय नागरिको का कहना है कि क्रिकेट तो क्रिकेट कुछ लोग शाम होते ही जाने कहाँ से आ जाते हैं और यहीं कब्रिस्तान में ही बैठकर सिगरेट, बीड़ी,पीते हैं। अब सबसे बड़ा सवाल कब्रस्तान की देख रेख करने वाले जिम्मेदारो पर बनता है कि उनको ये सब दिखाई क्यों नही देता है। आखिर मिटटी सबको एक बराबर करती है यह बात वह लोग कैसे भूल जाते है।

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