जाने कौन है जस्टिस शेखर यादव जिन्होंने कहा ‘देश बहुसंख्यको के हिसाब से चलेगा’, पढ़े उनके वह फैसले जो रहे चर्चाओं का केंद्र

तारिक आज़मी

डेस्क: इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव के एक बयान से विवाद खड़ा हो गया है। बयान में उन्होंने समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी पर अपने विचार रखे। साथ ही ये भी कह दिया कि ये भारत है और ये अपने ‘बहुमत की इच्छा के अनुसार चलेगा’। जस्टिस शेखर के बयान पर राजनीतिक दल, खासकर विपक्ष के नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। वहीं, विवाद के बीच जस्टिस शेखर यादव ने भी अपना पक्ष रखा है। जो आप अखबारों की सुर्खियों में पढ़ चुके है। जस्टिस शेखर कुमार यादव का कार्यकाल 15 अप्रैल 2026 को समाप्त होगा. आइये आपको बताते है कि जस्टिस शेखर यादव कौन है?

16 अप्रैल, 1964 को जन्मे जस्टिस शेखर यादव ने इलाहाबाद विश्विद्यालय से LLB की पढ़ाई की और 8 सितंबर, 1990 को एडवोकेट बने। इसके बाद उन्होंने 2019 तक इलाहाबाद हाई कोर्ट में बतौर वकील सिविल और संवैधानिक मामलों पर काम किया। वकालत के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के एडिश्नल गवर्मेंट एडवोकेट और स्टैंडिंग काउंसेल भी रहे। इसके अलावा भारत सरकार के लिए उन्होंने बतौर एडिश्नल चीफ़ स्टैंडिंग काउंसेल और सीनियर काउंसेल भी काम किया। उन्होंने भारतीय रेल और वीबीएस पूर्वांचल विश्व विद्यालय के स्टैंडिंग काउंसेल के रूप में भी सेवाएं दीं।

12 दिसंबर, 2019 को जस्टिस शेखर यादव इलाहाबाद हाई कोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किए गए। 26 मार्च, 2021 को उन्होंने स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। बतौर जज, जस्टिस शेखर कुमार यादव की पोस्टिंग अब तक इलाहाबाद हाई कोर्ट में ही रही है। इसके अलावा वो कौशांबी ज़िले के प्रशासनिक न्यायाधीश भी हैं।

निर्णय जो चर्चा का कारण बने

  • 31 जुलाई, 2021 को जस्टिस शेखर यादव ने जावेद उर्फ़ जाबिद अंसारी नाम के एक शख़्स को कथित लव जिहाद के मामले में बेल देने से इनकार कर दिया था। अपने ऑर्डर में उन्होंने लिखा था कि जब देश के बहुसंख्यक समाज से कोई अपना धर्म परिवर्तन करता है तो देश कमज़ोर होता है और विनाशकारी ताकतों को बढ़ावा मिलता है।
  • 25 अगस्त, 2021 को जस्टिस यादव ने साइबर फ़्रॉड से जुड़े एक मामले में आदेश पारित किया। एक रिटायर्ड हाई कोर्ट जज के अकाऊंट से पैसे की चोरी के इस मामले में उन्होंने कहा कि सरकार को सोचना चाहिए कि ऐसे अपराधों को सख्ती से कैसे रोका जाए। 13 जनवरी, 2022 को इसी मामले में चार आरोपियों की बेल याचिका खारिज करते हुए जस्टिस यादव ने केंद्र सरकार के आधार और बैंक अकाऊंट लिंक करने के फ़ैसले से सहमति जताई थी।
  • 1 सितंबर, 2021 को अपने एक आदेश में जस्टिस यादव ने गोहत्या के एक आरोपी जावेद को बेल देने से इनकार कर दिया था। आदेश में उन्होंने कहा कि गाय को देश का राष्ट्रीय जानवर घोषित कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि गाय एकमात्र पशु है जो ऑक्सीजन लेती और छोड़ती है; और, जब गाय का कल्याण होगा, तभी देश का कल्याण होगा। वो आगे कहते हैं, “हमारे देश में ऐसे सैकड़ों उदाहरण हैं कि जब-जब हम अपनी संस्कृति को भूले, विदेशियों ने हम पर आक्रमण कर हमें गुलाम बनाया। आज भी हम नहीं जागे तो ना भूलें कि अफगानिस्तान में तालिबान ने क्या किया।”
  • 9 अक्टूबर, 2021 को फेसबुक पर एक पोस्ट के लिए गिरफ़्तार हुए सूर्य प्रकाश को बेल देते हुए जस्टिस यादव कहते हैं कि प्रभु श्री राम और कृष्ण हमारे दिलों में रहते हैं। वो आगे कहते हैं, “भारत की संसद को श्री राम, श्री कृष्ण, श्रीमदभगवद्गीता, रामायण, महर्षि वेद व्यास और महर्षि वाल्मीकि का सम्मान करने के लिए कानून पारित करना चाहिए।”
  • 23 दिसंबर, 2021 को एक बेल आदेश पारित करते हुए जस्टिस यादव ने कोरोना वैक्सीन के लिए प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा की। साथ ही उन्होंने आग्रह किया था कि कोरोना के ओमिक्रोन वेरिएंट के मद्देऩज़र चुनावों की तारीख आगे बढ़ा दी जानी चाहिए।
  • 13 अप्रैल, 2022 को जस्टिस यादव ने एक समलैंगिक कपल की उनकी शादी को मान्यता प्रदान करने की याचिका खारिज कर दी थी। हालांकि, कोर्ट ने एक समलैंगिक की माता की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका भी खारिज की थी। याचिका में मां ने कहा था कि दूसरी लड़की ने उसकी बेटी को किडनैप किया था, और उसे छुड़ाने का आग्रह किया था।
  • 13 फरवरी, 2023 को एक महत्वपूर्ण आदेश में जस्टिस यादव ने कहा कि औरतों को भी गैंगरेप या सामूहिक बलात्कार के केस में आरोपित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भले ही एक औरत किसी दूसरी औरत का बलात्कार नहीं कर सकती हो, लेकिन गैंगरेप में सहयोग करने के लिए उन्हें प्रोसेक्यूट किया जा सकता है।
  • 31 अक्टूबर, 2024 को जस्टिस यादव ने चार साल की एक बच्ची के साथ हुए बलात्कार में आरोपी को बेल देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि हमारा देश में बच्चियों की पूजा की जाती है। बलात्कार ना सिर्फ पीड़िता, बल्कि पूरे समाज के खिलाफ़ अपराध है।

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