राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड के खिलाफ विपक्षी दलों द्वारा लाया जायेगा अविश्वास प्रस्ताव
मो0 कुमेल
डेस्क: राज्यसभा के सभापति और उपष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और विपक्षी दलों के बीच टकराव अब अपने चरम पर पहुचता दिखाई दे रहा है। सियासी गलियारों में चल रही हलचल के मुताबिक अब विपक्ष राज्यसभा में जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है। साथ ही सियासी गलियारों की हलचल के अनुसार यह अविश्वास प्रस्ताव जल्द ही सदन में पेश होगा।
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इस प्रस्ताव पर 50 से अधिक सांसदों ने हस्ताक्षर किया है। अगस्त में विपक्षी गठबंधन को प्रस्ताव पेश करने के लिए नेताओं के हस्ताक्षर की जरूरत थी, लेकिन उस समय वे आगे नहीं बढ़े। उन्होंने राज्यसभा के सभापति को एक मौका देने का फैसला किया, लेकिन सोमवार को उनके व्यवहार को देखते हुए विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाने का मन बना चुका है।
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस(टीएमसी), आम आदमी पार्टी (आप), समाजवादी पार्टी(सपा) और विपक्षी गठबंधन के सदस्य इस प्रस्ताव के साथ आगे बढ़ने के लिए एकसाथ हैं। राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान स्थगन के तुरंत बाद सदन के नेता जेपी नड्डा ने कहा कि भाजपा सदस्य उस मुद्दे पर चर्चा के लिए उत्तेजित थे, जिसमें कांग्रेस नेता शामिल थे। उन्होंने कहा, फोरम ऑफ डेमोक्रेटिक लीडर्स इन द एशिया-पैसेफिक (एफडीएल-एपी) और जॉर्ज सोरोस के बीच संबंध चिंता का विषय है। इसका सह-अध्यक्ष इस सदन का सदस्य है। भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि एफडीएल-एपी जम्मू कश्मीर को एक अलग इकाई के रूप में देखता है।
जब जगदीप धनखड़ ने जानना चाहा कि सत्ता पक्ष के नेता विरोध क्यों कर रहे हैं, तब भाजपा सांसदों ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के शीर्ष नेताओं का जॉर्ज सोरोस से संबंध है। उन्होंने इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की, क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा था। भाजपा और एनडीए गठबंधन के सांसदों ने इस मुद्दे पर तुरंत चर्चा की मांग की, जबकि कांग्रेस सदस्यों ने दावा किया कि अदाणी मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए ऐसा किया गया।
मल्लिकार्जुन खरगे, जयराम रमेश और प्रमोद तिवारी समेत कई नेताओं ने पूछा कि सभापति सत्तारूढ़ पार्टी को इस मुद्दे को उठाने की अनुमति कैसे दे रहे थे, जबकि उन्होंने इस संबंध में उनके (सत्तारूढ़ पार्टी) नोटिस को खारिज कर दिया था। भाजपा के लक्ष्मीकांत बाजपेयी को शून्यकाल में अपना मुद्दा उठाने का मौका दिया गया और उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर बोलना शुरू किया। जयराम रमेश ने उनकी टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जब सभापति के नियम 267 के तहत नोटिस खारिज कर दिया है तो उसमें उल्लिखित मुद्दों को उठाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। सांसद दिग्विजय सिंह ने भी धनखड़ पर पक्षपात करने का आरोप लगाया।