म्यामार के विद्रोही गुट के आगे कमज़ोर पड़ी सेना, विद्रोहियों ने बांगलादेश से लगे समवर्ती क्षेत्रो पर किया कब्ज़ा
आदिल अहमद
डेस्क: म्यांमार में पिछले कई सालों से जारी गृह युद्ध में एक नया मोड़ आ गया है। दरअसल सेना के ख़िलाफ़ संघर्ष कर रहे विद्रोही गुटों ने रख़ाइन प्रांत से लगी बांग्लादेश की सीमा के क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर लिया है। म्यांमार सेना ने साल 2021 में देश की सत्ता पर अपना कब्ज़ा जमाया था। हालांकि पिछले कुछ वक़्त से विद्रोही गुटों ने म्यामांर की सेना के ख़िलाफ़ अभियान चला रखा है।
म्यांमार के विद्रोही गुट अराकान आर्मी ने रख़ाइन प्रांत में स्थित म्यांमार सैन्य सरकार की सेना के आख़िरी बैरक बीजीपी-5 को अपने नियंत्रण में ले लिया है। इस दौरान म्यांमार सेना के कई सैनिकों ने विद्रोही लड़ाकों के आगे आत्मसमर्पण भी कर दिया और कई सैनिकों की मौत भी हुई है। बीजीपी-5 बैरक पर नियंत्रण की कोशिश के दौरान विद्रोही लड़ाकों ने सबसे पहले सैनिकों से आत्मसमर्पण करने को कहा। इसके बाद उन्होंने सैनिकों के ठिकानों पर हमले कर दिये।
बीजीपी-5 बैरक का इस्तेमाल म्यांमार की बॉर्डर गार्ड पुलिस करती थी और यह बांग्लादेश की सीमा के पास म्यांमार की सेना का आख़िरी बैरक था। बताते चले कि इस अभियान के तहत कुछ समय पहल ही विद्रोही गुटों ने देश के पूर्वी भाग के एक बड़े इलाक़े पर कब्ज़ा कर लिया था। म्यामांर के विद्रोही गुटों में तीन ताक़तवर सशस्त्र समूह शामिल हैं। यह तीनों समूह अगल-अलग जातीय समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
इन गुटों के संगठन का नाम ब्रदरहुड अलायंस है। इस अलायंस में म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी (एमएनडीएए), तांग नेशनल लिबरेशन आर्मी (पूर्वी म्यांमार) और अराकान आर्मी (पश्चिमी म्यांमार) शामिल हैं। यह सशस्त्र समूह पहले भी म्यांमार की सरकार के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ चुके हैं। पहले उनका मक़सद अपने इलाके में और ज़्यादा स्वायत्तता पाना था। मगर, अब उनका कहना है कि उनका लक्ष्य म्यांमार की सैन्य सरकार को उखाड़ फेंकना है।