VDA के वीसी साहब….! हम पूछ रहे थे कि दशाश्वमेंघ जोन में लबे रोड ऐसा अवैध निर्माण करवाने में “ऊपर से कितना खर्च होगा…?”

तारिक आज़मी

वाराणसी: वाराणसी विकास प्राधिकरण के वीसी साहब के दावे है कि शहर में एक भी अवैध निर्माण (illegal construction) नही हो रहा है। कार्यवाहियों को भी दिखाया जाता है कि कितनी कार्यवाही हो रही है। मगर हकीकत अगर देखा जाए तो वाराणसी विकास प्राधिकरण में भ्रष्टाचार अपनी जड़े जमा चूका है और खत्म होना असंभव सा दिखाई देता है। जिस निर्माण को दुनिया एक नज़र में देख कर अवैध घोषित कर डाले उसके ऊपर विकास प्राधिकरण के जोनल और जेई की निगाह नही पड़ती है।

ऐसा ही एक मामला दशाश्वमेघ ज़ोन का हमारे नजरो से विगत एक माह से अधिक समय से गुज़र रहा है। नई सड़क दशाश्वमेघ थाने मार्ग पर थाने के सामने एक निर्माणाधीन भवन चीख चीख कर कह रहा है कि हमारा निर्माण मानको के विपरीत अवैध तरीके से हो रहा है। मगर मुख्य मार्ग पर स्थित इस निर्माणाधीन भवन की चीख स्थानीय जेई और जोनल अधिकारी के कानो तक नही पहुच रही है। शायद जोनल साहब और जेई साहब को हरे पत्तो की इतनी नर्म मुलायम तकिया मिल गई है कि उनकी नींद नही खुल रही है।

थाने के ठीक सामने लबे रोड निर्माण को वैध कैसे मान लिया जाए यह इसी बात से साफ़ ज़ाहिर हो जाता है कि न सेटबैक छूटा है और न ही मानको का पालन हो रहा है। वही भवन में बेसमेंट की भी तैयारी जोरो शोरो से चल रही है। किसी दुल्हन के तरह चारो तरफ से नकाबपॉश कर इसका निर्माण अन्दर ही अन्दर जारी रखवाने में जोनल की भूमिका भले ही संदेह में है, मगर जेई साहब की भूमिका पूरी तरह से सवालो के घेरे में है। कारण है कि दिन में दो चक्कर जेई साहब इसी मार्ग से होकर गुज़रते है। मगर उनकी नज़र से ये भवन बच कैसे गया है ये समझने में शायद किसी बच्चे को भी वक्त नही लगेगा।

चारो तरफ से तिरपाल ऐसे ढाका गया है कि अन्दर क्या चल रहा किसी को दिखाई न दे। तिरपाल पर मुन्ना बैंड का बोर्ड लग गया और ऐसा प्रतीत करवाया जा रहा है कि यही से पूरी अनुमति मिल चुकी है। मुन्ना बैंड का नाम लग गया अब अगर किसी ने नज़र उठा कर देखा तो उसके बारात में बाजा नहीं बजेगा। इसको कह सकते है कि ‘कमाल करते है जेई साहब और जोनल साहब’। वरना ऐसे निर्माण को इतना तक होने कैसे दे सकते है।

वैसे पत्रकारिता के नियम कहते है कि हमको वाराणसी विकास प्राधिकरण का बयान भी लिखना चाहिए। मगर आखिर उनका बयान कैसे लिखे जिनकी पूरी कार्यशैली ही इस जगह सवाल नही बल्कि सवालों के घेरे में है। भूमिका संदिग्ध कहना शायद छोटा लफ्ज़ होगा, भूमिका पूरी है ये कहना कही से गलत नही होगा। अब कल मंगलवार को जोनल साहब इस सम्बन्ध में फोन करेगे जेई को और जेई कहेगे कि सुपरवाइज़र को भेज रहा हु साहब। फिर सुपरवाइज़र जायेगे, रसमलाई खायेगे और वापस चले आयेगे। फाइल ठन्डे बस्ते में दिखाई देगी, इसके अलावा कुछ होना नहीं है।

फर्क बस इतना पड़ेगा कि बिल्डर को थोडा खर्च शायद और करना पड़े। दो चार दिन दौड़ लगाना पड़े। मगर वीसी साहब आपके विकास प्राधिकरण में ऐसा ही चलता रहता है कि ‘मुह पर लगाओ ढकना और काम करते रहो अपना, हम सब देख लेंगे।’ इसीलिए मैंने सीधे पूछ लिया कि वीसी साहब ऐसा अवैध निर्माण करवाने में ऊपर से कितना खर्च आ जायेगा। हकीकत तो ये है कि वीसी साहब आपके अधीनस्थ जिस चश्मे से आपको दिखाते है आप उसी चश्मे से दुनिया देख रहे है। देखते रहे और शासन की मंशा के आँखों पर झोकी जाती हुई धुल के मूकदर्शक बने रहे। जय हो वाराणसी विकास प्राधिकरण….!

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