पुलिस हिरासत में नेपाली युवक की मौत प्रकरण में चला कानून का चाबुक, हिमांचल प्रदेश आईजी ज़हूर हैदर जैदी सहित 8 पुलिस कर्मियों को उम्र कैद की अदालत ने सुनाई सज़ा, लगाया एक-एक लाख का जुर्माना
तारिक खान
डेस्क: चंडीगढ़ में सीबीआई की एक अदालत ने हिमाचल प्रदेश के इंस्पेक्टर जनरल (आईजी) ज़हूर हैदर ज़ैदी समेत आठ पुलिसकर्मियों को उम्रक़ैद की सजा सुनाई है। ये मामला 2017 में शिमला के कोटखाई में हुए गुड़िया दुष्कर्म और हत्या मामले से जुड़े एक अभियुक्त सूरज की पुलिस हिरासत में हुई मौत का है।
दोषियों में तत्कालीन आईजी आईपीएस ज़हूर हैदर ज़ैदी, डीएसपी मनोज जोशी और एसआईटी के अन्य सदस्य शामिल हैं। कोर्ट ने सभी दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। दोषी ठहराए गए अन्य पुलिसकर्मियों में सब-इंस्पेक्टर राजिंदर सिंह, एएसआई दीप चंद शर्मा, मुख्य आरक्षी मोहन लाल, सूरत सिंह, रफी मोहम्मद और कांस्टेबल रनीत स्टेटा शामिल हैं। सभी दोषी फिलहाल चंडीगढ़ की बुड़ैल जेल में बंद हैं।
मामला कुछ इस प्रकार था कि 4 जुलाई 2017 को शिमला के कोटखाई क्षेत्र से 16 साल की छात्रा लापता हो गई थी। बाद में उसका निर्वस्त्र शव तांदी के जंगल में मिला। मामले की जांच के लिए तत्कालीन आईजी ज़हूर हैदर ज़ैदी की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया। एसआईटी ने मामले में सात संदिग्धों को गिरफ़्तार किया था, जिनमें नेपाली मूल का सूरज भी शामिल था।
सूरज को कोटखाई थाने में हिरासत में रखा गया। हिरासत में सूरज की लॉकअप में मौत हो गई। पुलिस ने मौत को दूसरे कैदियों के बीच हुई मारपीट का नतीजा बताया, लेकिन बाद में सीबीआई जांच में ये निष्कर्ष निकला कि सूरज की मौत पुलिस प्रताड़ना की वजह से हुई थी। शिमला की तत्कालीन एसपी सौम्या सांबशिवन ने भी मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, वो इस मामले में गवाह थीं। सीबीआई जांच में सामने आया कि सूरज के शव पर 20 घाव थे।
एसपी सांबशिवन पर तत्कालीन आईजी ज़ैदी ने सूरज का शव परिवार को सौंपने का दबाव बनाया था, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया और शव सीबीआई अधिकारियों को सौंप दिया। सीबीआई ने जो पोस्टमॉर्टम कराया उसमें प्रताड़ना की पुष्टि हुई। गुड़िया दुष्कर्म और हत्या मामले में अप्रैल 2018 में सीबीआई ने चिरानी अनिल कुमार उर्फ नीलू को गिरफ़्तार किया था। 18 जून 2021 को शिमला की सत्र एवं जिला न्यायाधीश राजीव भारद्वाज की विशेष अदालत ने नीलू को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई।
नेपाली मजदूर सूरज की पत्नी ममता ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘बेशक, 8 साल लग गए, लेकिन न्याय मिलने की खुशी है। सभी ने एक मजदूर के परिवार को न्याय दिलाने में मदद की। ऐसा करने वाले लोग ही नहीं, बल्कि जो भी किसी के बच्चों से उसका पिता या पत्नी से उसका पति छीन ले, उसे सख़्त से सख्त सज़ा मिलनी चाहिए। मुझे खुशी है कि आखिरकार हमें न्याय मिला।’