वाराणसी पुलिस कमिश्नर साहब….! अतिक्रमण और मार्ग अवरोध के लिए कायम आपके “जलाल” की थोड़ी झलक अपने दफ्तर के पास यहाँ भी दिखा दे…!

शफी उस्मानी संग सबा अंसारी

वाराणसी: वाराणसी पुलिस कमिश्नर साहब फिलहाल अतिक्रमण के मुखालिफ अभियान चला रखे है। अभियान भी ऐसा वैसा नही पुरे वाराणसी कमिश्नरेट की पुलिस इस वक्त सड़क पर अतिक्रमण के खिलाफ सड़क पर उतर गई है। सोशल मीडिया पर तस्वीरे पोस्ट कर और करवा कर पुलिस विभाग के दरोगा तक पुरे 100 में 100 नम्बर लेने की जद्दोजेहद में है।

आखिर अतिक्रमण के खिलाफ बेशक जलाल होना ही चाहिए तो है भी। अभी दो-तीन दिन पहले की ही तो बात है। पुलिस लाइन चौराहे पर स्थित मस्जिद के बाहर बिना अनुमति का जलसा हो रहा था। बेशक ये कृत्य गलत है अगर सड़क पर कोई कार्यक्रम करना है तो आप अनुमति ले। इत्तेफाक की बात उधर से गुज़र कमिश्नर साहब का हुआ और मार्ग अवरुद्ध था। कमिश्नर साहब ने जमकर सुनाया स्थानीय थानेदार साहब को और इसके बाद नींद में सो रहे चौकी इंचार्ज साहब ने आयोजक पर मुकदमा दर्ज किया।

अब एक सवाल बड़ा पैदा होता है कि चौकी इंचार्ज साहब मुख्य मार्ग पर होने वाले इस कार्यक्रम को आखिर किस चश्मे से देखे थे कि दिखाई नहीं पड़ा था और कार्यक्रम शुरू हो गया था। मेरे ख्याल से चौकी इंचार्ज साहब शायद क्षेत्र भ्रमण कागज़ पर दिखा कर आराम कर रहे होंगे क्योकि चौकी मिलने के बाद थकान हो जाती है। हम ये बात इसलिए नहीं कह रहे है कि चौकी इंचार्ज साहब से हमारा कोई व्यक्तिगत बुग्ज़ है। बस बात हकीकत है तो कह दिया।

बहरहाल साहब, अतिक्रमण के खिलाफ कमिश्नर साहब के इस प्रयास की भूरी भूरी प्रशंसा करना चाहिए। सच में सड़क पर चलना दुश्वार हो जाता है इस अतिक्रमण के कारण। अब देखिये न, कल शुक्रवार को गणेश चौथ के मौके पर कबीर चौरा से लेकर मैदागिन तक अतिक्रमण ने हद खत्म कर दिया था। दर्शनार्थियों को पैदल चलना मुश्किल हो रहा था। अब ठेले खोमचो वालो ने सड़क पर ही दूकान लगा रखा था तो कैसे इंसान चले। सबसे बड़ी बात तो ये थी कि इन दुकानों की ज़रूरत भी थी क्योकि प्रसाद और फलहार तो यही से मिलेगे।

कमिश्नर साहब हम आपको एक इलाके की सैर करवाते है आपको। वैसे तो आप रोज़ इधर से गुज़रते होंगे, मगर इत्तेफाक है कि आपने ख्याल नहीं किया होगा। ये वाराणसी जिला मुख्यालय के बाहर दीवानी कचहरी के बाहर की सड़क है। पुरे पार्किंग स्टैंड को सड़क पर बना रखा गया है। लगभग 3-4 हज़ार दो पहिया वाहन और सैकड़ो चार पहिया वाहन ऐसे ही सड़क पर अतिक्रमण करके खड़े रहते है। सबसे बद्दत्तर हालात तो होती है कचहरी पुलिस चुँकि के बाहर। खुद पुलिस चौकी अतिक्रमण की शिकार हो जाती है। हाल ऐसा होता है कि पुलिस चौकी के अन्दर जाने का रास्ता नहीं बचता है। कभी कभी तो चारदिवारी फांद कर पुलिस चौकी के अन्दर जाने की ज़रूरत रहती है।

सबसे बड़ी बात तो साहब ये है कि खुद आपके विभाग के पुलिस कर्मी आकर अपना वाहन यही खडा कर देते है। थोडा आगे बढे तो लाइन से विकास भवन के बाहर और सामने की तरफ सड़क पर कारो का जमावड़ा रहता है। बस ये अतिक्रमण के खिलाफ जलाल की नज़र इस पर नही पड़ पाती है। शायद इसका एक बड़ा कारण ये भी हो सकता है कि यहाँ अधिवक्ता समाज सामने आ जाएगा। दरअसल पार्किंग की जो दिव्य व्यवस्था हुई है, वह तनिक महँगी है। कोई भी इतनी महँगी व्यवस्था का लाभ रोज़ तो उठाने से रहा, अगर महज़ 10 रूपये में पुरे दिन की व्यवस्था मिल जाती है तो फिर आखिर क्या हर्ज है। वह तो जमकर जेब ढीली हो जायेगी।

अब देखना होगा कि वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट की अतिक्रमण के खिलाफ जलाल की निगाह इस जगह कब और किस तरह उठती है। वैसे एक वाजिब बात कहना चाहते है कि कमिश्नर साहब को पहले अवैध पार्किंग के रूप में उनके खुद के विभाग के कर्मचारियों के वाहनों का चालान कटवाना चाहिए। साथ ही हमारा अनुरोध रहेगा कि कचहरी कार्यसरकार से आने वाले पुलिस कर्मियों को वाहन पार्किंग के पैसे मिलने की सिफारिश सरकार से होनी चाहिए। आम जनता के लिए पार्किंग सस्ती करवाना चाहिए और पार्किंग के ठेकेदार को साफ़ साफ़ कहना चाहिए कि एक वाहन का पुरे दिन का महज़ 10 रुपया ले। भाई एक दो रूपये की कसम नही है। ऊपर नीचे किया जा सकता है। मगर पुरे दिन का अगर किसी को 50-60 रुपया बाइक का देना होगा तो ये पैसा खलेगा।

साथ ही साथ हमारा अनुरोध है कि अधिवक्ताओं हेतु मुफ्त वाहन पार्किंग की व्यवस्था करवाया जाए। उनको बार काउंसिल पास जारी करे और पास के आधार पर उनके बाइक की पार्किंग मुफ्त होनी चाहिए। हम तो कहेगे कि हर एक अधिवक्ता को तीन मुवक्किल रोज़ के आधार पर मुफ्त पार्किंग पास रोज़ शाम को दिया जाना चाहिए। जिससे अधिवक्ताओं के मुवक्किलों को भी दिक्कत नहीं हो। अब रही जगह की बात तो जगह उपलब्ध है। जहा वर्त्तमान में पार्किंग है उसी को मल्टीस्टोरी पार्किंग बना दिया जाये। जब वाहन सुरक्षित रहेगे और सुविधा सड़क पर वाहन कड़ी करने जैसी सस्ती मिलेगी तो कौन सड़क पर वाहन खड़ा करना चाहेगा। अब पार्किंग के बजट की बात रही तो उसके लिए किसी भी पार्किंग ठेकेदार से 10 साल का अनुबंध किया जा सकता है।

भाई आप सोच रहे होंगे कि हम समस्या बताने के साथ निदान खुद बता रहे है। तो कमिश्नर साहब हम वैसे पत्रकार नहीं है जो निदान न बताये बस समस्याओं पर समस्या गिनवाते चले। हम समस्या बतायेगे तो निदान कौन बताएगा ? इसीलिए हम निदान बता रहे है। समस्या अधिवक्ता समाज की है कि महंगी पार्किंग वह रोज़ इस्तेमाल नहीं कर सकते, समस्या कचहरी कार्यसरकार को जाने वाले पुलिस कर्मियों की है कि पार्किंग का पैसा कहा से आये, समस्या उन मुवक्किल की है जो कचहरी आते है और समस्या उनकी भी है जो इसी सब मज़बूरी में सड़क छाप वाहन पार्किंग में गाडी खडी करने का रिस्क लेते है। हमने सब समस्याओं का समाधान बता दिया।

वैसे हमको भी पता है कि होना हवाना कुछ नही है, चंद मिनट चर्चा उठेगी, उसके बाद इतनी ‘पंचायत’ से बेहतर इस समस्या को अनदेखा कर देना ही बेहतर रहेगा। वैसे एक झलक हालत-ए-हाजरा को देखना है तो आप कचहरी से अर्दली बाज़ार जाने वाले मार्ग पर राजश्री स्वीट्स के सामने भी देख सके है। अवैध पार्किंग के कारण पैदल निकलना मुश्किल अक्सर हो जाता है, बाकि सब खैरियत है। इसका समाधान है कि राजश्री वाले से कहे कि वह अपनी दुकान के नीचे बेसमेंट पार्किंग बनवाए। पैसे की कमी है किया उनके पास? वैसे आप पाठक हमारी बातो पर थोडा मुस्कुरा भी सकते है और चाहे तो गौर भी कर सकते है। अपने नज़रिए कमेन्ट सेक्शन में लिख सकते है भले ही पक्ष में हो या विपक्ष में।

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