भारत हुआ अमेरिका और रूस की कतार में शामिल
भारत ने गुरुवार को देश के सातवें और अंतिम नौवहन उपग्रह आईआरएनएसएस-1जी का सफल परीक्षण किया. इसके साथ ही इसी के साथ भारत अमेरिका और रूस की कतार में शामिल हो गया. श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी- सी33 से IRNSS-1G को लॉन्च किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद भी दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस मिशन पर नजर रखी.
प्रधानमंत्री ने भारतीय वैज्ञानिकों को IRNSS-1G की लॉन्चिंग पर बधाई दी. अमेरिका आधारित ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम यानी जीपीएस जैसी क्षमता हासिल करने की दिशा में आखिरी कदम बढ़ाते हुए इसरो ने गुरुवार को यह सैटेलाइट लॉन्च किया. प्रधानमंत्री ने इस मौके पर कहा, ‘अब हमारे रास्ते हम तय करेंगे. कैसे जाना है, कैसे पहुंचना है, ये हमारी अपनी तकनीक के माध्यम से होगा.’
आईआरएनएसएस-1जी का परीक्षण यहां रॉकेट पोर्ट से गुरुवार दोपहर भारतीय ध्रुवीय उपहग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) रॉकेट के जरिये किया गया. 44.4 मीटर लंबे और 320 टन वजनी पीएसएलवी-एक्सएल के जरिये उपग्रह का परीक्षण दोपहर 12.50 बजे किया गया.
सात उपग्रहों वाली भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (आईआरएनएसएस) के छह उपग्रह (आईआरएनएसएस-1ए, आईआरएनएसएस-1बी, आईआरएनएसएस-1सी, आईआरएनएसएस-1डी, आईआरएनएसएस-1ई और आईआरएनएसएस-1एफ) पहले ही कक्षा में स्थापित किए जा चुके हैं.
क्या है आइआरएनएसएस 1जी सेटेलाइट
आइआरएनएसएस 1जी सेटेलाइट पर दो पे-लोड ले तैनात हैं. जिसमें नेवीगेशनल और रेंजिंग पे-लोड शामिल हैं. इस सेटेलाइट की अवधि 12 साल है. इससे पहले प्रक्षेपित आइआरएनएसएस सीरीज के छ सेटेलाइट के काम शुरू करने के साथ ही भारत के पास भी जीपीएस जैसी खुद की सुविधा उपलब्ध होगी. इस सीरीज के पूरे होने के बाद हम किसी भी जगह की सटीक जानकारी हासिल कर सकेंगे. यही नहीं भारत की भौगोलिक सीमा से 1500 किमी दूर की जगहों के बारे में जानकारी मिल सकेगी. इसके जरिए दो तरह की सुविधाएं मिलेंगी, स्टैंडर्ड पोजिश्निंग सर्विस सभी ग्राहकों के लिए उपलब्ध होगी. जबकि प्रतिबंधित सेवाओं का इस्तेमाल कुछ खास लोग ही कर सकेंगे.
इंडियन रिजनल नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम में सात उपग्रह हैं. जिससे नौवहन प्रणाली को ज्यादा सटीकता और लक्षित स्थान हासिल हो सकेगा. आईआरएनएसएस प्रणाली के संचालन के लिए चार उपग्रह पर्याप्त हैं लेकिन शेष तीन इसे ज्यादा सटीक और प्रभावी बनाएंगे.
आइआरएनएसएस अमेरिका के जीपीएस, रूस के ग्लानोस, यूरोप के गैलीलियो और चीन के बीडोउ के समान है. आइआरएनएसएस शृंखला का पहला सेटेलाइट जुलाई 2013 में लांच किया गया था.