गुमराहियत का खेल या धोखाधड़ी का मेल, सन्त तुलसी दास महाविद्यालय कादीपुर सुल्तानपुर

संत तुलसीदास के प्राचार्य डॉ अरविन्द पाण्डेय के दाहिने हाथ डॉ रविन्द्र मिश्रा
ये भी महिला अध्यापिका से छेड़खानी के आरोपी है 
कादीपुर, सुल्तानपुर

★प्राचार्य डां.अरविन्द पाण्डेय ने किया अनुमोदित शिक्षक डां.धनन्जय सिंह के साथ धोखाधड़ी।।।

सूरापुर निवासी डां.धनन्जय सिंह का अवध विश्वविद्यालय से अनुमोदन पत्रांक संख्या लो.अ.वि./ए.एफ./सम्बद्ध/1770/2011 दिनाक 21.01.2011 के द्वारा महाविद्यालय के संस्कृत विषय में हुआ था। श्री सिंह द्वारा 2011 से ही नियुक्ति का अथक प्रयास भी किया गया, किन्तु अहंकार व भ्रष्टाचार में डूबे प्राचार्य द्वारा आज तक डां.धनन्जय सिंह की नियुक्ति नहीं होने दी गयी। कारण प्राचार्य डॉ अरविन्द पाण्डेय बताने को तैयार नहीं और यदि शिक्षक डॉ धनञ्जय सिंह की माने तो प्राचार्य ने जोइनिंग हेतु 20 हज़ार नगद एवम् हर माह के वेतन का आधा नगद वापस करने की शर्त डॉ धनञ्जय सिंह के सामने रखी थी। बकौल डॉ धनञ्जय सिंह उनकी अंतरात्मा इस कार्य को करने से मना कर दी और उन्होंने इसका कडा विरोध किया। बस फिर क्या दोनों पक्ष अपनी अपनी आन पर टिक गए। डॉ धनञ्जय सिंह का वसूल टकराया कि वो भ्रष्टाचार न करेगे न करने देंगे तो वही डॉ अरविन्द पाण्डेय को लगा कि यह कही मेरा साम्राज्या न समाप्त कर दे। वैसे भी हिटलरशाही के लिए बागियों का सर कुचलना ही होता है। बस वो अपनी ज़िद पर कि डॉ धनञ्जय सिंह को ज्वाइन नहीं करने देना है। 
यदि सूत्रो की माने तो प्रबंधक डॉ अरविन्द पाण्डेय के इशारो पर चलते है। कारण समझ से एकदम बाहर है आखिर ऐसा क्यों ? इसी प्रकार प्रबंधक सौरभ त्रिपाठी हिंदी की एक अन्य महिला प्रवक्ता के प्रकरण में शांत बैठे थे जब इसी प्राचार्य में उस महिला प्रवक्ता से भी 20 हज़ार घुस और हर माह का आधा वेतन माँगा था, महिला प्रवक्ता के विरोध करने पर इसी प्राचार्य ने उनके सामने एक अन्य ऑप्शन रखा था कि “वह जाकर प्रबंधक से मिलकर उनको खुश कर दे।” सूत्रो की माने तो उक्त महिला प्रवक्ता ने प्राचार्य की लानत मलानत सब कुछ कर डाला था, वही उसी समय एक स्वयं सेवी संस्था “राष्ट्रीय जूता ब्रिगेड” ने अपनी स्टाइल से प्राचार्य का भव्य स्वागत भी किया था। इतना कुछ होने के बाद भी प्राचार्य के विरुद्ध प्रबंधक के शब्द नहीं निकले थे। हमने जब इस प्रकरण में अध्यक्ष और सांसद प्रतिनिधि ओम प्रकाश पाण्डेय से उनके विचार जानने चाहे तो उन्होंने अपनी महाविद्यालय में एकदम न चलने की बात बताते हुवे अपनी असहजता दिखाई थी। उक्त महिला प्रवक्ता आज भी महा विद्यालय के खिलाफ अपनी जंग उच्च न्यायालय में लड़ रही है जहा सूत्रो से प्राप्त सूचनाओ को आधार माना जाए तो प्राचार्य अपने पद का दुरूपयोग करते हुवे धमकी देकर अन्य शिक्षको से अलग अलग लगभग 20 रजिस्टर पर हस्ताक्षर करवा कर रखे है।

बहरहाल वापस धनञ्जय सिंह प्रकरण में  प्राचार्य का अहंकार आपको बताते है।
धनञ्जय सिंह द्वारा सुचना के अधिकार के तहत मागी गई सुचना में प्राचार्य द्वारा दिनांक 22.09.2014 को  लिखित दे दिया गया कि डां.धनन्जय सिंह का अनुमोदन ही विश्वविद्यालय नियमावली के अनुसार निरस्त हो चुका है। वही जब डां.सिंह द्वारा कुलसचिव अवध विश्वविद्यालय से सम्पर्क किया गया, तो कुलसचिव ने दिनांक 24.02.2015 को पत्रांक संख्या लो.अ.वि./सम्बद्ध/2015/3340 दिनाक 24.02.2015 के आधार पर लिखित दिया कि डां.धनन्जय सिंह का अनुमोदन विश्वविद्यालय स्तर से अद्यतन निरस्त नहीं है।
अब सवाल उठता हैकि विश्वविद्यालय स्तर से अनुमोदन प्रदान करने वाला सक्षम अधिकारी 05 माह बाद दे रहा है कि अनुमोदन निरस्त नहीं है, जबकि काबिल प्राचार्य डां.अरविन्द पाण्डेय 05 माह पहले ही दे चुके है कि अनुमोदन विश्वविद्यालय से निरस्त हो चुका है।
इसी प्रकार के गुमराहियत का फर्जी खेल, खेल रहे है,विगत 06 साल से सन्त तुलसी दास पी.जी.कालेज कादीपुर में प्राचार्य डां.अरविन्द पाण्डेय
इसी प्रकार के खेल से प्राचार्य कादीपुर अब तक 05 जाति विशेष के शिक्षिको को महाविद्यालय से बाहर का रास्ता दिखा चुके है, आश्चर्य इस बात का भी है, प्राचार्य के इस खेल में कहीं न कहीं प्रबन्धक श्री सौरभ त्रिपाठी भी शामिल है। ज़ाहिर है कि सौरभ त्रिपाठी भी किसी न किसी माध्यम से प्राचार्य द्वारा खुश किये जाते रहे होंगे तभी तो इस प्रकरण में उन्होंने आँखे बंद कर रखी है।
विशेष नोट- यदि किसी को समाचार पर आपत्ति हो तो वो हमारी मेल editor@pnn24.in पर मेल द्वारा आपत्ति दर्ज करवाये हम अपने समाचार से सम्बंधित दस्तावेज़ उसको उपलब्ध करवा देंगे।
★ यदि प्राचार्य और प्रबंधक अथवा प्राचार्य के दाहिने हाथ डॉ रविन्द्र मिश्रा को आपत्ति हो तो वो हमको कानूनी नोटिस भेजे हम उनका हर प्रकार का जवाब कानपुर न्यायालय में देने को तैयार है।

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