BJP अध्यक्ष की अनदेखी कर संगीत सोम ने शुरू की निर्भय यात्रा, खुब लहराये समर्थको ने हथियार
कैराना: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले कैराना से हिन्दुओं के कथित पलायन के मुद्दे को लेकर पश्चिमी यूपी एक बार फिर सियासी मैदान बन गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक संगीत सोम ने शुक्रवार को कैराना तक ‘निर्भय यात्रा’ शुरू कर दी है। हालांकि इस मामले में यूपी बीजेपी अध्यक्ष केशव मौर्या ने कहा कि संगीत सोम से कहा गया था कि ‘निर्भय यात्रा’ की जरूरत नहीं है। निर्भय यात्रा में संगीत सोम के कुछ समर्थक हथियारों से लैस हैं। जबकि जवाब में सपा के अतुल प्रधान के नेतृत्व में सद्भावना यात्रा को पुलिस ने रोक दिया है। निर्भय,सद्भावना यात्रा को लेकर इलाके में तनाव फैल गया है। 10 कंपनी RAF और 10 कंपनी पीएसी तैनात किया गया है।
बता दें कि जिला प्रशासन का कहना है कि कानून व्यवस्था को देखते हुए किसी को इस तरह की पदयात्रा निकालने की अनुमति नहीं दी जाएगी। सरधना और कैराना में हालात को देखते हुए धारा 144 भी लागू कर दी गई है। भाजपा की ‘निर्भय यात्रा’ के जवाब में सरधना से सपा प्रत्याशी अतुल प्रधान ने ‘सद्भावना यात्रा’ का ऐलान किया। इन दो पदयात्राओं को लेकर जिले का सियासी पारा चढ़ गया है।
कैराना से भाजपा सांसद हुकुम सिंह भी संगीत सोम से अपील कर चुके हैं कि वह यात्रा न निकालें, लेकिन संगीत सोम यात्रा निकालने पर अड़े हुए हैं। सोम ने कहा, “‘निर्भय यात्रा’ समाज के लोगों को भयमुक्त करने और यह दर्शाने के लिए निकाली जा रही है कि भाजपा उनके साथ है। सांसद हुकुम सिंह मेरे आदरणीय हैं और उन्होंने कहा है कि मैं कैराना न पहुंचूं, पर मैं जाऊंगा और यह पदयात्रा निकाली जाएगी। जहां तक अनुमति की बात है तो मैं इस बारे में प्रशासन को लिखित जानकारी दे चुका हूं।”
इधर, सपा छात्रसभा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सरधना विधानसभा सीट से सपा प्रत्याशी अतुल प्रधान के नेतृत्व में सरधना से ही ‘सद्भावना यात्रा’ निकाली जाएगी। अतुल प्रधान ने कहा, “कैराना में कोई मुद्दा नहीं है। केवल चुनावी फायदे के लिए यह सब हुकुम सिंह ने किया है। देशभर से बड़े शहरों के लिए पलायन हो रहा है। कैराना में भी यही हुआ है बेवजह लोगों में भय बताकर और आपसी भाईचारा को खराब करने के लिए यह माहौल बनाया जा रहा है।”
इस बीच मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी पंकज यादव ने कहा, “पदयात्रा के लिए भाजपा या सपा किसी के भी द्वारा कोई अनुमति नहीं मांगी गई है। जिले में धारा 144 लगी हुई है। सरधना के उपजिलाधिकारी को अवगत करा दिया गया है कि वे दोनों दलों के नेताओं को बता दें कि वे यह यात्रा न निकालें। किसी को भी कानून हाथ में नहीं लेने दिया जाएगा, माहौल नहीं बिगड़ने देंगे।”
मगर सवाल एक इन सबके बीच अधूरा रह गया। वह सवाल यह है कि यदि प्रदेश सरकार इस तरह की गतिविधियों को रोकना चाहती है और प्रशासन भी यही चाहता है कि शांति व्यवस्था बनी रहे तो फिर आखिर कैसे सोम समर्थको के द्वारा इतना खुल्लम खुल्ला हथियारों का प्रदर्शन हुवा क्या वहा उपस्थित पुलिस अधिकारी और पुलिस कर्मियो का मौन समर्थन था। यदि सिर्फ इस घटनाक्रम को ध्यान से सोच ले कि कही दोनों यात्रा आमने सामने हो गई होती तो स्थिति क्या रहती। जो भी हो शांति का माहोल बिगाड़ने वालो को इस प्रकार की छूट मिलना प्रशासन की नियत पर सवाल उठता है।