आखिर क्यूं हुई मुख्यमंत्री अखिलेश की चाचा शिवपाल से हुई तकरार।

लखनऊ-:
यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुलायम परिवार मे अंतर्कलह उजागर हो गई है। मुलायम के भाई शिवपाल यादव ने इस्तीफे की धमकी दी है। वहीं, सीएम अखिलेश यादव को अध्यक्ष पद से हटाने के बाद उन्होंने चचा शिवपाल से अहम विभाग छीन लिए। कहा जा रहा है कि अब मुलायम खुलकर अपने भाई शिवपाल के समर्थन मे आगे आ गए हैं। ऐसे में आइए आपको बताते हैं कि चचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश में कब-कब किन-किन मुद्दों को लेकर तकरार हुई है।

जानिए कब-कब और किन मुद्दों पर शिवपाल और अखिलेश के बीच हुई तकरार

  • शिवपाल ने कहा था कि अखिलेश सरकार के अधिकारी उनकी बात नहीं सुन रहे हैं। नेता मनमानी कर रहे हैं। अगर ऐसे ही चलता रहा तो वो इस्तीफा दे देंगे।
  • अखिलेश यादव के चहेते मुख्य सचिव आलोक रंजन के रिटायरमेंट के बाद दीपक सिंघल को मुख्य सचिव बनाए जाने में शिवपाल का हाथ था। दीपक सिंघल पिछले चार सालों से शिवपाल के सिंचाई विभाग में प्रमुख सचिव के पद पर कार्यरत थे। अखिलेश इसके पक्ष में नहीं थे। वो सिंघल के बैचमेट और कृषि उत्पादन आयुक्त प्रवीर कुमार को मुख्य सचिव बनाना चाहते थे। शुरुआत मे कार्यवाहक मुख्य सचिव का दायित्व भी सौंपा था।
  • कौमी एकता दल के विलय को लेकर और मुख्तार अंसारी की एंट्री से अखिलेश नाराज थे। विलय कराने में शिवपाल का हाथ था। मध्यस्थता करने वाले मंत्री से नाराजगी जाहिर करते हुये अखिलेश ने मंत्रीमंडल से बलराम यादव को निष्कासित किया था। विलय रद्द होने के बाद मंत्रिमंडल विस्तार में शिवपाल के कहने पर दोबारा बलराम यादव को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था।
  • बेनी प्रसाद वर्मा को पार्टी में शामिल करने पर अखिलेश असहमत थे। इसमें भी शिवपाल की मुख्य भूमिका थी। मुलायम की मुहर के बाद हुआ था फैसला।
  • अमर सिंह को भी पार्टी में दोबारा वापस लाने को लेकर आजम और रामगोपाल के खुले विरोध के चलते अखिलेश असमंजस में थे। शिवपाल पूरी तरह से अमर सिंह के साथ खड़े थे।
  • पार्टी, कुनबा और सरकार: अमर सिंह की छाया ने बिगाडी समाजवादी सियासत की शतरंज:-
  • अखिलेश के करीबी युवा नेताओं सुनील साजन और आनन्द सिंह भदौरिया को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप मे शिवपाल ने बाहर का रास्ता दिखाया था। नाराज अखिलेश ने सैफई महोत्सव के उद्घाटन प्रोग्राम में नहीं गए। तीन दिन बाद तब गए, जब दोनों का निष्कासन रद्द किया गया।
  • बिहार चुनाव में नीतीश और लालू के गठबंधन पर अखिलेश को आपत्ति थी। शिवपाल गठबंधन से सहमत थे। बाद में मुलायम और राम गोपाल की नाराजगी के बाद सपा ने अपने आप को गठबंधन से अलग कर लिया था1
  • अतीक अहमद के पार्टी में शामिल होने पर अखिलेश ने कड़ी आपत्ति जताई थी। शिवपाल ने अतीक का साथ दिया था। कौशांबी मे एक कार्यक्रम में मंच से अतीक अहमद को अखिलेश ने धकिया दिया था।
  • जवाहर बाग कांड में शिवपाल पर आरोप लगा था। शिवपाल पर रामवृक्ष को संरक्षण देने का आरोप था। शिवपाल यादव के दखल के कारण अखिलेश सरकार जवाहर बाग को खाली कराने की कार्रवाई नहीं कर पा रही थी।
  • 2012 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अखिलेश यादव ने पश्चिमी यूपी के बड़े माफिया डीपी यादव को पार्टी में शामिल करने का खुले तौर पर विरोध किया था। अखिलेश के विरोध की वजह से डीपी यादव की सपा में एंट्री नहीं हो सकी थी। चाचा शिवपाल चाहते थे कि डीपी यादव की पार्टी में एंट्री हो।

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