प्रॉपर्टी के लालच में महिला ने किया प्रेग्नेंसी का ड्रामा

राज जायसवाल मुंबई
3 महीने के बच्चे के अपहरण के मामले में पिछले सप्ताह जिस आशा हादोड़े को गिरफ्तार किया था, उसने 9 महीने तक प्रेग्नेंसी का ड्रामा किया था। यह बात उसके पति तक को पता नहीं थी। आशा ने ऐसा क्यों किया? इसकी कहानी अब पता चली है। आशा ने प्रॉपर्टी के लालच में यह ड्रामा किया था।

क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी के अनुसार, आशा और उसके वर्तमान पति दोनों की दो-दो शादियां हुई हैं। वर्तमान पति की पहली पत्नी से चार लड़कियां हैं। उसने पहली पत्नी को छोड़ दिया है। आशा के भी अपने पहले पति से दो लड़कियां हैं। उसने भी अपने पहले पति को छोड़ दिया है। करीब दो-तीन साल पहले आशा कीवर्तमान पति से कोलाबा में मुलाकात हुई। यह मुलाकात प्यार में बदल गई। बाद में आशा को पता चला कि उसके पति के पास पुश्तैनी प्रॉपर्टी बहुत है। आशा को लगा कि यदि उसका अपना कोई लड़का होता, तो यह प्रॉपर्टी उसके बेटे के नाम हो जाती। इसके बाद पता लगाने पर आशा को जानकारी मिली कि अब उसे कोई बच्चा नहीं हो सकता, इसलिए उसने तय किया कि प्रेग्नेंसी का ड्रामा किया जाए। नेवी नगर इलाका प्रतिबंधित इलाका है। यहां हर कोई आ जा नहीं सकता। आशा ने इसी का फायदा उठाया। उसने पति को नेवी नगर इलाके में आने से मना कर रखा था। उसकी एक परिचित नेवी नगर में रहती है। वह जब- तब उसके घर रुक जाती थी। जब वह पति से मिलने नालासोपारा जाती, तो पेट में कपड़ा कुछ इस तरह लगालेती कि पति समझे कि वह प्रेग्नेंट है।
जब नवां महीने आने को हुआ, तो फिर उसने छोटे से बच्चे (लड़के) को ढूंढने की कोशिश की। सके लिए उसने अपने परिचित सनी वाघेला की मदद मांगी । बदले में उसे 40 हजार रुपये दिए। आजाद मैदान पुलिस के सीनियर इंस्पेक्टर विजय कदम ने एनबीटी को बताया कि सनी फिल्मों में एक्स्ट्रा का काम कर चुका है। इस वजह से उसके पास फिल्म सिटी का विजिटिंग कार्ड था। क्राइम ब्रांच सूत्रों के अनुसार, इसी कार्ड कोदिखाकर पहले वह कामा अस्पताल और सेंट जेवियर कॉलेज से जुड़ी गली में फूल बेचने वाली चीकू नामक महिला से मिला कि एक छोटे बच्चे को फिल्म की शूटिंग के लिए लेना है। चीकू के पास छोटा बच्चा था नहीं, इसलिए उसने अपनी सहेली संजना का फैशन स्ट्रीट का पता बताया। संजना का तीन महीने का बेटा है। सनी वाघेला अपने रिश्तेदार पंकज को लेकर फिर संजना के पास गया और उसे उसके बच्चे को फिल्म में लेने की कहानी सुनाई। यहां से सभी पहले ईरोज सिनेमा, फिर नेवी नगर गए । नेवी नगर में सनी ने शूटिंग के बहाने संजना के बेटे को अपनी गोद में लिया और कहा कि तीन घंटे में हम आते हैं और बदले में तुम्हें 15 हजार रुपये देते हैं। कुछ देर बाद सनी के साथी पंकज ने संजना से ताज होटल के बाहर यह कहकर चलने को कहा कि तुम्हारे बेटे की शूटिंग वहां हो रही है । पंकज वहां संजना को बहाने से छोड़कर कहीं भाग गया। इसके बाद यूनिट-वन के सीनियर इंस्पेक्टर संतोष वागवे , शेलके, कुंभार और अब्दुल रऊफ की टीम ने टेक्निकल एविडेंस की मदद से सनी, पंकज व आशा को गिरफ्तार कर लिया।इसके बाद आजाद मैदान पुलिस के सीनियर इंस्पेक्टर विजय कदम ने हमारे सहयोगी अखबार एनबीटी को एक महत्वपूर्ण बात बताई। कदम के अनुसार, नेवी नगर में जब सनी ने आशा को संजना का 3 महीने का बेटा दिया, तो आशा ने नेवी नगर से बांद्रा के लिए एक टैक्सी पकड़ी और अपनी एक परिचित एक लेडी डॉक्टर के घर पहुंच गई। इस डॉक्टर से उसने कहा कि वह उसके (आशा) पति को फोन कर दे कि बच्चा एकदम ठीक है ।आशा की किसी भी साजिश से अनभिज्ञ इस
लेडी डॉक्टर ने बिना शक किए पति को फोन कर दिया। उस पूरे दिन आशा बच्चे के साथ इस लेडी डॉक्टर के यहां ही रही । अगले दिन यह डॉक्टर लोकल ट्रेन में आशा व बच्चे को बैठाकर नालासोपारा आशा के घर तक गई, जहां उसके पति ने बच्चे के नामकरण का प्रोग्राम तय कर रखा था। इस कार्यक्रम के लिए पति ने किसी से पांच हजार रुपये भी उधार लिए थे। जब क्राइम ब्रांच टीम इस घर पहुंची और आशा को अपनी गिरफ्त में लिया, तो पति सदमे में आ गया।

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