पुलिस की उदासीनता की वजह से राय पुरवा थाना क्षेत्र में दो दबंग करवा रहे खुलेआम सट्टा,

नए सट्टा संचालक द्वारा पुराने सट्टा संचालक का काला कारोबार प्रभावित करने से दोनों के बीच उत्पन्न हुई रंजिश दे सकती है बड़ी घटना को अंजाम 

(मो0 नदीम्) दिग्विजय सिंह राजेन्द्र केसरवानी एवं निजामुद्दीन की रिपोर्ट 
कानपुर 10 अक्टूबर 2016
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शलभ माथुर ने कानपुर शहर में अपराध अपराधियो पर अंकुश लगाने के लिए कई तरह के अभियान चलाये जिसमे उन्हें सफलताएं भी मिली लेकिन इसके बावजूद कई ऐसे अपराध है जो आज भी कप्तान की पैनी नज़र से दूर है जिसमे प्रमुख रूप से सट्टे का काला कारोबार है जो शहर के कई थाना क्षेत्र में खुलेआम चलाया जा रहा है और थाना अध्यक्ष आखे मूंद कर अपने कप्तान के अच्छे कार्यो पर पलीता लगाने का काम कर रहे है

थाना राय पुरवा अंतर्गत झकरकटी पुल के बगल में पुरानी आर पी एफ कालोनी में कई महीनो से खुले आम सट्टे का कारोबार हो रहा है जिसकी वजह से रोज़ाना गरीब तबका लालच में फसकर अपनी खून पसीने की गाढ़ी कमाई इन सट्टेबाजो को सौप रहे है रोज़ाना लाखो रुपये सट्टेबाज़ अपनी झोली में समेट कर मौज काट रहे है और राय पुरवा थाना अध्यक्ष आँखो में काला चश्मा चढ़ाये हुए है जिसकी वजह से उन्हें दिन के उजाले में भी इतना बड़ा गोरखधंधा दिखाई नहीं दे रहा है या फिर बात कुछ और है

आपको बताना चाहेंगे इस सट्टा रैकेट के बारे जब हमे मालुम हुआ तो मैं अपनी पत्रकारो की टीम के साथ राय पुरवा पुरानी आरपीएफ मलिन बस्ती में पंहुचा तो देखता क्या हु कि मैदान के किनारे एक बड़ा सा तख्त पड़ा था जिस पर तख़्त के बराबर एक बैनर बिछा था बैनर में हाथी,गाय,तोता,गाय, साँप, एवं बकरी के नाम से कई खाने बने थे। खाने के अंदर रुपये रखे जाते है सट्टे बाज़ अपने हाथ से पर्ची खोलता है जिस खाने की पर्ची में तस्वीर होगी उसी को इनाम मिलेगा बारह खानो में एक खाना खेलने वाले का और बचे ग्यारह खाने सट्टे बाजो के यानि सट्टे बाजो की चांदी ही चांदी

अचानक पत्रकारो को देखकर सारे सटटे बाज़ और खेलने वाले सकते में आ गए और देखते ही देखते सभी लोग सट्टा छोड़कर भाग खड़े हुए इस खुले आम हो रहे सट्टे के बारे में जब हमने क्षेत्रीय  लोगो से बातचीत की तो उनका कहना है यहाँ दो सट्टा चलता है. एक सट्टा अभी ये नया लगा है जबकि एक अन्य काफी पुराना है.  सारा सट्टे का सिस्टम क्षेत्र में दो  दबंग युवक का है जो अपने दस बारह साथियो के साथ मिलकर चला रहा है क्षेत्र के कई लोगो ने इस कारोबार लेकर आवाज़ उठाने की कोशिश की लेकिन सट्टेबाजो की दबंगई के डर से कोई कुछ नहीं बोल पाया पर आज पहली बार ये सट्टेबाज़ सट्टा छोड़कर भागे है इससे पहले ये कभी पुलिस को देखकर नहीं भागे

इस काले कारोबार के बारे में जानकारी देने के लिए हमने रायपुरवा थाना अध्यक्ष को कई फ़ोन किया लेकिन हर बार उनका फ़ोन नॉट रिचेबल पर था शायद सरकारी नंबर है इसलिए ना लग रहा हो इसके बाद हमने झकरकटी चौकी इंचार्ज को फोन किया और क्षेत्र में हो रहे सट्टे से अवगत कराया तो कहना था कि वो कई दिन से बुखार से त्रस्त है क्षेत्र में कहा क्या हो रहा है उन्हें जानकारी नहीं है कैसा क्षेत्र है ये जहा के थानेदार का फोन लगता नहीं चौकी इंचार्ज बिस्तर पकडे हुए है ऐसे में सट्टे बाजो और अन्य अपराधियो के हौसले बुलंद होना तो स्वाभाविक है 
बहरहाल इस सारे मामले में एक बात तो साफ़ है कि गरीबो के मुह से निवाला छीनकर फल फूल रहे इन सट्टा कारोबारियों को कोई तो संरक्षण दे रहा है जिसकी वजह से ये डंके की चोट पर सट्टा चला रहे है और कोई भी डर के मारे अपना मुह नहीं खोल रहा है लेकिन ये भी बात एक दम सच है अगर पुलिस अपने पर आये तो परिंदा भी शहर में पर नहीं सकता तो ये सट्टे बाज़ पुलिस से बेख़ौफ़ होकर कैसे अपनी दूकान चला रहे है वैसे कप्तान शलभ माथुर चाहे लाख कोशिश कर ले शहर को अपराध मुक्त करने की लेकिन उनके मातहत पलीता लगाने से बाज़ आते नहीं दिख रहे.
इस पुरे प्रकरण में सबसे ज्यादा रोचक बात जो निकल कर सामने आई वह यह है कि जो एक सट्टा संचालक पुराना है उसको कुछ बड़े लोगो का वरदहस्त प्राप्त है. वह सिर्फ 11 खानों के पैसो तक ही सीमित नहीं रहता है बल्कि अगर किसी कि किस्मत ज़बरदस्त निकली और उसने कुछ पैसे जीत लिए तो उसको जीती हुई रकम भी नहीं देता है और अपनी दबंगई के बल पर उसको भगा देता है. यही एक कारण है कि जब से यह नया सट्टा का चट्टा लगा है उसके काले कारोबार पर असर पड़ गया है और उसके यहाँ कोई नहीं जाता है. इस प्रकरण से दोनों सट्टा संचालको के बीच तनाव कि स्थिति है जो कभी भी बड़ी घटना को अंजाम दे सकती है. मगर क्षेत्रिय पुलिस को इन सबसे क्या. वह तो अभी अति व्यस्त है.

जल्द सामने आएगा सट्टे के कारोबार में माफिया राज का राज़ 

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