मेरी जंजीर न खीचो सकीना जाग जाएगी मचाओ शोर न लोगों सकीना जाग जाएगी

अज़हान आलम/सुशील कुमार

घोसी(मऊ)। नगर के बड़ागांव स्थित हैदरी मोहल्ले में शनिवार की रात शिया समुदाय के चौथे इमाम और हज़रत इमाम हुसैन के बड़े बेटे इमाम सैयदे सज्जाद अ. स. की याद में एक शब्बेदारी का आयोजन अब्बासिया कमेटी की जानिब से हुआ जिस में गांव के अलावा मुल्क की मशहूरो मारूफ अंजुमनों ने भी नौहाख्वानी की शब्बेदारी लगभग 3:30 समाप्त हुई। इस अवसर पे सब्बेदारी का संचालन कर रहे लायक़ हुसैन मोबारकपुरी ने कहा कि बीमारे कर्बला, हज़रत इमाम ज़ैनुल आब्दीन अ. स. कर्बला में इमाम हुसैन की शहादत के बाद इमाम को कैद करके गले मे खारदार तौक़, हाथों में हथकड़ी और कमर में लंगर डाल दिया गया।यज़ीदी लश्कर ने बीमार इमाम को कर्बला से लेकर कूफ़ा, कूफ़ा से लेकर शाम तक नंगे पांव कांटो भरे रास्ते से गुज़ारते हुए पहुचे। इस पूरे सफर में इमाम के साथ अहले हरम भी थे।जितनी मोसीबते कर्बला के बाद इमाम सज्जाद ने उठाई वो ना क़ाबिले बर्दास्त तकलीफ थी।
अंजुमन आले एबा ने दर्द बहरा नौहा पेश किया।
मेरी जंजीर न ख़ैचो सकीना जाग जाएगी
मचाओ शोर न लोगों सकीना जाग जाएगी
जिस से सुनकर वहां उपस्थित अजादारों की आंखें नम हो गईं। इस अवसर पे अंजुमन सज्जादिया कोपागंज, अंजुमन सिपाहे हुसैनी भनौली सादात सुलतानपुर, अंजुमन सज्जादिया घोसी, अंजुमन इमामिया, दस्ता मसूमिया, अंजुमन मसूमिया क़दीम रजिस्टर्ड, अंजुमन हुसैनी मिशन, अंजुमन मसूमिया घोसी आदि ने दिलसोज़ नौहे पढ़े। इस अवसर पर कल्बे हसन, शमशाद हुसैन, दिलबर हुसैन, मोज़ाहिर हुसैन, शब्बीर, अली रज़ा, मो फैज़ान, मो हैदर, ग़रीबुल हसन, असग़र, मो मीसम, मो अली, नेमत अली, अंसार हुसैन, मो अब्बास आदि थे।

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