किसान त्रस्त, नहर विभाग मस्त” नहरों मे पानी की जगह है झाङ – झंझाङ
बलिया।। खेती किसानी का मूल आधार है पानी। पानी का सहज व किफायती श्रोत हैं नहरें। आज हालत यह है कि क्षेत्र के सभी नहरों में पानी के स्थान पर झाड़- झंखाड़ ही दिख रहा है। आज किसान गेहूं की बोआई के 21 दिनों बाद वाली सिचाई के लिए परेशान हैं और नहरें हैं कि उसमें पानी की एक बूंद तक नहीं दिख रही है।
किसानो ने बताया कि गेहूं की सिंचाई के अलावा सब्जियों में भी पानी की दरकार है। एक तो वैसे ही सब्जियों का उत्पादन काफी कम हो रहा है, उस पर भी पानी का अभाव। यही नहीं निजी नलकूपों से सिचाई करने पर सब्जियों का लागत मूल्य पाना काफी कठिन हो जाएगा। पूरे क्षेत्र को पानी की आपूर्ति करने वाला रतनिकालसर-सुखपुरा माइनर आजकल झाड़-झंखाड़ से पटी है। पहले इस माइनर की सफाई होती थी तो लगता था कि कुछ दिनों में पानी आ जाएगा। इस सीजन में साफ-सफाई की जहमत भी विभाग ने नहीं उठाई। आज पानी बिन सब सूना जैसी स्थिति किसानों की हो गई है।