चंद सिक्को की खातिर थे मजबूर जेल में रहने को, करवाया भारत विकास परिषद् ने आज़ाद.
वाराणसी. पैसो की इस संसार में कितनी आवश्यकता होती है इसको तो हम सभी जानते है. हम जानते है एक एक रूपये के महत्व को. मगर क्या आप कभी सोच सकते है कि इस देश क्या अपने शहर में कुछ परिवार ऐसे भी है जिनके पास इतने पैसे भी नहीं थे जितने हम रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में सिर्फ एक फिल्म किसी मल्टीप्लेक्स में देखने के लिये खर्च कर देते है और इस पैसे की मज़बूरी में उनको जेल में रहना पड़ रहा हो. जी हां हमारे वाराणसी जेल में कुल 12 ऐसे कैदी थे जो सजायाफ्ता थे और उनको अर्थदंड लगा था, यह अर्थदंड भी बहुत ज्यादा नहीं था एक जन पर सिर्फ उतना ही जितना एक फिल्म को मल्टीप्लेक्स में देखने में हम खर्च कर देते है, मगर कोई पुरसाहाल नहीं था उन गरीबो का और मज़बूरी में वह जेल में अपनी सजा इस अर्थ दंड हेतु भुगत रहे थे.\
आज इसी शहर की एक संस्था भारत विकास परिषद महामना परिवार के लोगो ने महामना मदन मोहन मालवीय और भारत रत्न अटल बिहारी बाजपाई के जन्म दिवस के मौके पर कुछ पुनीत कार्य करने को सोचा और पहुच गये जेल में ऐसे कैदियों को पता करने जो केवल अर्थदंड के कारण जेल में बंद थे और वहा ऐसे कुल 14 बंदियों को पाने जेब से अर्थ दंड भरकर रिहा करवाया.
इस अवसर पर हमसे बात करते हुवे भारत विकास परिषद महामना परिवार के अध्यक्ष रविप्रकाश जायसवाल ने बताया कि सच बताऊ यह देख कर आँखे भर आई कि हमारे शहर में ऐसे भी बंदी थे जिनके पास एक हज़ार अथवा पंद्रह सो नहीं थे और वह जेल की सलाखों के पीछे रहने को मजबूर थे. ये शायद इतना ही रुपया होगा जितने में हम किसी बढ़िया होटल में एक वक्त का खाना खा लेते है या फिर एक दिन में कार में तेल उतने का डलवा कर चलते है. आप खुद सोचे कितनी मज़बूरी और बेबसी की ज़िन्दगी इन गरीब परिवार की रही होगी कि उनके घर का कोई मर्द केवल इस कारण बंद है कि उसके पास इतने पैसे नहीं है.
संस्था के ही पुष्परंजन अग्रवाल और मनोज जायसवाल (राजघाट) ने हमसे बात करते हुवे बताया कि आप किसी को क्या दे सकते है रोटी एक वक्त की, कपडा, या फिर सर छुपाने की जगह. मगर इन सबसे पुनीत कार्य है किसी को उसके ज़िन्दगी की आज़ादी देना. हमारा एक छोटा सा प्रयास है और हम लगातार भविष्य में भी ऐसे कार्य करते रहेगे. हम यह काम खबरों की सुर्खियों को बटोरने के लिये नहीं बल्कि खुद के मन की शांति के लिये कर रहे है.
इस अवसर पर संस्था के तरफ से रवि प्रकाश जायसवाल, पुष्परंजन अग्रवाल, मनोरंजन अग्रवाल, मनोज कुमार जायसवाल (राजघाट), के साथ संस्था के कई कार्यकर्ता उपस्थित थे वही प्रशासनिक अमले में DIG जेल बी.एस. यादव, वरिष्ठ अधीक्षक (जेल) अम्बरीश गौर, जेलर पवन त्रिवेदी, सहायक जेलर में आलोक सिंह, करुनेंद्र यादव, शत्रुध्न मिश्रा आदि उपस्थित थे.