साहब ये बुज़ुर्ग नहीं मरा बल्कि इंसानियत का क़त्ल हुआ है.
रास्ते के विवाद में बुज़ुर्ग की हत्या
बलिया ।। उत्तर प्रदेश सरकार भले ही दावा करे भय मुक्त समाज की लेकिन ऐसा कही दिखता नही ।आये दिन हत्या बलात्कार लूट देखने को मिलता है अगर बात करे बलिया की तो इस तरह की दिल दहला देने वाली घटनाये आम है । आज सुखपुरा थाना क्षेत्र अंतर्गत जीराबस्ती गांव के नोनिया छपरा में दिन दहाड़े रास्ते के मामूली विवाद में 70 वर्षीय व्यक्ति की डंडे व ईटो से कूट कूट कर हत्या कर दी गई और आस पास के लोग मूक दर्शक बने रहे।
बताया जाता है कि सुखपुरा थाना क्षेत्र के नोनिया छपरा कि घटना से लोगो में एक बार फिर दहशत का माहौल उत्पन्न हो गया। बलिया पुलिस की अगर बात करे तो इस विवाद में एक दिन पहले सुलह समझौते करवाया गया था, मगर नफरत बची रह गई और वह भी इस कदर नफरत कि अगले ही दिन एक व्यक्ति की हत्या हो गई और सभी लोग देखते रहे।
हकीकत देखा जाये तो यह हत्या एक बुज़ुर्ग की नहीं थी बल्कि मूकदर्शक बने लोगो के ज़मीर की हत्या थी. वह बुज़ुर्ग नहीं मरा साहब यहाँ इंसानियत ने दम तोड़ दिया, नफरतो के बीच पनपे अनचाहे सुलह ने इस नफरत को इस कदर सुलगाया कि लोग मूकदर्शक बने देखते रहे और बुज़ुर्ग चोट से लहुलुहान होकर अपने प्राण पखेरू उड़ा दिया मगर किसी ने बोलने की हिम्मत नहीं दिखाई. किसी ने उसको बचाने की हिम्मत नहीं दिखाई और वह बुज़ुर्ग मर गया, साहब एक शेर अक्सर सुना था, कि सच बात मान लीजिये चेहरे पर धुल है, इलज़ाम आईनों पर लगाना फ़िज़ूल है. सही मायने में देखा जाये तो आज इंसानियत उस जगह बुज़ुर्ग के साथ ही दम तोड़ गई.
बलिया के पुराने घटनाक्रमों को देखे तो इस घटना से एक दिन पहले ही रेवती कसबे में जमीनी विवाद में 32 वर्षीय महिला कि सरेआम पिटाई का वीडियो वायरल होने पर पुलिस हरकत में आई तो वही रसड़ा थाना क्षेत्र के रसड़ा कस्बे में दो लड़को को पुलिस कि उपस्थिति में सर मुंडन करा कर पुरे शहर में घुमाने कि वारदात उजागर हुई। अब समझ नहीं आता कि यह कौन लोग है जिनके दिल और दिमाग में कानून का खौफ बचा ही नहीं है और खुद के हाथो में कानून को लेकर फैसला खुद कर रहे है. मुद्दे पर प्रशासन को एक बार गहन मंथन करने की ज़रूरत है.